विंध्यवासिनी मंदिर

मां विंध्यवासिनी को योगमाया, महामाया और एकनामशा के रूप में भी पूजा जाता है और जिनका स्थान विंध्यवासिनी मंदिर है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार महिषासुर को मारने के लिए इन्होंने अवतार लिया था। जिसका विस्तृत विवरण मार्कंडेय पुराण के ‘दुर्गा सप्तशती’ में दिया गया है। देवी विंध्यवासिनी को समर्पित विंध्याचल मंदिर काशी क्षेत्र से ७० किमी और प्रयाग से ८५ किमी की दूरी पर स्थित है। विंध्यवासिनी देवी मंदिर पवित्र गंगा नदी के तट पर मिर्जापुर से 8 किमी दूर स्थित है। यह सिद्धपीठ नव देवियों में से एक हैं और ५१ शक्तिपीठो में शामिल हैं। मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में लोग आते हैं। चैत्र और अश्विन में नवरात्रों के दौरान बड़ी सभाएँ आयोजित की जाती हैं। ज्येष्ठ के महीने में यहां कजरी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। मंदिर काली खोह से सिर्फ २ किमी की दूरी पर स्थित है।

परिचय…

विंध्याचल सिद्ध देवी पीठ अति प्राचीन काल से ही महर्षियों, योगियों, तपस्वियों के श्रद्धा, आस्था, सात्विकता और मुक्तिप्रदाता का मंगल क्षेत्र रहा है। विंध्याचल धाम में त्रिशक्तियों महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती का निवास स्थल है। देवी पार्वती ने इसी स्थान पर तपस्या करके भगवान भोलेनाथ को प्राप्त किया। भगवान श्रीराम ने यहाँ के गंगा घाट पर अपने पितरो को तर्पण किया और रामेश्वर लिंग की स्थापना की। विंध्याचल तपोवन में भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र की प्राप्ति हुई थी। देवी लक्ष्मी का मंदिर विंध्याचल के मध्य में एक ऊँचे स्थान पर स्थित हैं और मंदिर के पश्चिमी भाग के प्रांगण में बारह भुजी देवी स्थित हैं।

कथा…

विंध्यवासनी देवी बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए जानी जाती है। विंध्याचल वह स्थान हैं जहां देवी दुर्गा और महिषासुर के मध्य भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर संसार की रक्षा की और सृष्टि को पाप मुक्त किया। महिषासुर का वध करने के कारण ही दुर्गा को महिषासुर मर्दनी कहा जाने लगा।

इतिहास…

विंध्याचल और देवी विंध्यवासिनी की उदारता का उल्लेख प्राचीन ग्रंथो में किया गया है। इनमे से कुछ विशेष ग्रन्थ जैसे मार्कंडेय पुराण, मत्स्य पुराण, महाभारत, वामन पुराण, देवी भागवत, राज तरंगिनी, बृहत् कथा, हरिवंश पुराण, स्कंद पुराण, कदंब्री और कई तंत्र शास्त्र में मिल जाता हैं। खास तौर पर मार्कंडेय पुराण में देवी दुर्गा और महिषासुर के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन देखने को मिलता हैं।

रोचक तथ्य…

भारतीय मानक समय रेखा जोकि पूरे भारत वर्ष के समय क्षेत्र को तय करती है विंध्यवासनी देवी की प्रतिमा से होते हुए गुजरती हैं। अपने निर्वासन काल के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने इस स्थान का भ्रमण किया था। विंध्याचल विश्व का एकमात्र पावन धाम हैं जहाँ देवी लक्ष्मी, देवी काली और देवी सरस्वती एक साथ निवास करती हैं।

कंकाली देवी मंदिर…

जैसा कि नाम से ही जाना जाता है कि कंकाली देवी मंदिर का नाम कंकाल से मिला है, जिसका अर्थ है कंकाल या मां काली। ऐसा कहा जाता है कि दैत्यों का नाश करने के लिए शांतस्वरूपा देवी दुर्गा ने देवी काली का रूप धारण कर लिया और दुष्टों का नाश किया। माना जाता हैं कि उनका क्रोध इतना अधिक बढ़ गया कि उनका शरीर कंकाल में बदलने लगा तभी भगवान शिव ने उन्हें शांत करने के लिए उनका मार्ग रोका और रास्ते में सो गए।

राम गया घाट…

विंध्याचल का प्रसिद्ध राम गया घाट विंध्याचल से लगभग दो किमी की दूरी पर है। माना जाता है कि भगवान राम ने अपने माता-पिता की आत्मा की शांति के लिए इस स्थान पर प्रार्थना की थी। राम गया घाट पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

अष्टभुजा मंदिर…

विंध्याचल का प्रसिद्ध अष्टभुजा मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है जोकि साहित्य, विद्या और ज्ञान की देवी हैं। माना जाता हैं कि अष्टभुजा देवी भगवान श्रीकृष्ण की बहन के रूप में जन्म लिया था जिसे असुरराज कंस ने मारने की चेष्टा की लेकिन वह हाथो से छूट कर आसमान में आकाशवाणी करने के बाद अदृश्य हो गई थी। इसी स्थान पर उनके कुछ साक्ष्य प्राप्त हुए थे अतः उन्हें यहां पूजा जाने लगा।

सीता कुंड…

सीता कुंड वह स्थान हैं जहां वनवास काल के दौरान सीता माता की प्यास बुझाने के लिए श्री लक्ष्मण जी ने अपने तीर से जमीन में छेद कर दिया जहां से जल निकाला और माता सीता ने उस जल से अपनी प्यास बुझाई थी। आगे चल के यह स्थान सीता कुंड के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

काली खोह मंदिर…

काली खोह मंदिर काली माँ को समर्पित है, जो कि एक गुफा के रूप में निर्मित है। माना जाता है कि देवी काली ने राक्षस रक्तबीज का वध करने के लिए अवतार लिया था। रक्तबीज नामक दानव को वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त के हरेक बूंद से उसी के समान कई रक्तबीज उत्पन्न होंगे और इस विकट परिस्थिति में सभी देवताओं ने देवी की शरण में जाना उचित समझा। तब मां काली ने रक्तबीज को मारने के लिए अपनी जीभ को जमीन पर फैला दिया और उनका रक्त अपनी जीभ पर ही रख लिया। काली खोह मंदिर में देवी काली की खूबसूरत मूर्ती स्थापित है जिसके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं।

रामेश्वर महादेव मंदिर…

रामेश्वर घाट पर स्थित दर्शनीय रामेश्वर महादेव मंदिर मिर्जापुर से लगभग ८ किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर विंध्यवासिनी देवी मंदिर से मात्र एक किमी की दूरी पर है। प्राचीन कथाओं से पता चलता हैं कि इस मंदिर में भगवान राम द्वारा स्थापित किया गया शिवलिंग विद्यमान हैं।

घूमने लायक जगह…

व्याधम जलप्रपात विंध्याचल के बाहरी इलाके में स्थित हैं और विंध्याचल के मंदिरों की यात्रा करने के बाद यह पर्यटकों के लिए घूमने के लिए एक शानदार स्थान हैं। पर्यटक यहाँ पिकनिक मानाने के इरादे से भी पहुँचते हैं। यह झरना धीरे बहने वाला झरना है जो ऊंचे-ऊँचे और हरे-भरे पेड़ों से ढका हुआ है। यह स्थान विशेष रूप से बारिश के मौसम में खूबसूरत शांत वातावरण में का नजारा प्रस्तुत करता हैं।

अश्विनी राय
अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

Similar Articles

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertismentspot_img

Instagram

Most Popular