गाडगिल योजना का गठन १९६९ में भारत के राज्यों की योजना के लिये केन्द्रीय सहायता को निर्धारित करने के लिये किया गया था। गाडगिल योजना को चौथी पंचवर्षीय योजना में लाया गया था। जब यह योजना लाया गया था धनन्जय रामचन्द्र गाडगिल उस समय भारत के योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे। पहली तीन पंचवर्षीय योजनाओं तथा १९६६-६९ के वार्षिक योजना में केन्द्र द्वारा राज्यों को दिये जाने वाले अनुदान के नियमन में वस्तुनिष्ठता की कमी थी तथा यह राज्यों के सामान और संतुलित वृद्धि का संचालन करने में असमर्थ थे। गाडगिल योजना का नाम समाज विज्ञानी धनन्जय रामचन्द्र गाडगिल के नाम पर पड़ा था। आईए आज ही के दिन यानी १० अप्रैल, १९०१ महाराष्ट्र के नासिक में जन्में धनन्जय रामचन्द्र गाडगिल जी के बारे में जानने से पहले गाडगिल योजना पर पहले ध्यान देते हैं…
१. असम, जम्मू और कश्मीर तथा नागालैंड जैसे विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को अनुदान में वरीयता दी जायेगी।
२. शेष केन्द्रीय अनुदान की राशि को निम्नलिखित मापदण्डों के आधार पर अन्य राज्यों को वितरित किया जायेगा…
क. जनसंख्या के आधार पर ६० प्रतिशत।
ख. ७.५ प्रतिशत राज्य की प्रति व्यक्ति आय में प्रति व्यक्ति कर-संग्रहण की भागीदारी के आधार पर।
ग. २५ प्रतिशत राज्य की प्रति व्यक्ति आय के आधार पर, इस श्रेणी के अन्तर्गत केवल वही राज्य आते हैं जिनकी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम हो।
घ. ७.५ प्रतिशत राज्यों की विशेष समस्याओं पर।
अब आते हैं हम मुख्य मुद्दे पर, धनन्जय रामचन्द्र गाडगिल, जो कि डी.आर.गाडगिल के नाम से भी जाने जाते हैं। नागपुर में अपनी युवावस्था बिताने के बाद, उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में इतिहास और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया और १९२३ में वापस लौटे। एमटीबी कॉलेज के प्राचार्य बनने के बाद, वे गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल इकोनॉमी के निदेशक बने। वे गोखले राजनीति एवं अर्थशास्त्र संस्थान, पुणे के संस्थापक निर्देशक तथा गाडगिल योजना के रचयिता थे, जो कि चौथी तथा पाँचवी पंचवर्षीय योजना के दौरान राज्यों को दी जाने वाली केन्द्रीय सहायता का आधार था। उन्हें महाराष्ट्र में किसानों के सहकारिता आन्दोलन के विकास का भी श्रेय जाता है। भारत सरकार ने इनकी अमूल्य सेवाओं के देखते हुए २००८ में इनके सम्मान में स्मरणीय डाक टिकट जारी किया था।