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भारत में निचली अदालत से लेकर उच्चतम न्यायलय तक कई महिला न्यायधीश के पद पर आसीन हो चुकी हैं। हाल ही में उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा को न्यायधीश बनाया गया है। परंतु क्या आपको पता है की भारत में पहली महिला न्यायधीश कौन थीं? न्यायमूर्ति अन्ना चांडी भारत की पहली महिला न्यायमूर्ति थीं। आज न्यायमूर्ति अन्ना चांडी का ११३वां जन्मदिन है। आइए, जानें भारत की पहली महिला न्यायधीश न्यायमूर्ति अन्ना चाण्डी के बारे में…

न्यायाधीश अन्ना चांडी का जन्म आज ही के दिन यानी ४ मई, १९०५ को भारत के तत्कालीन त्रावणकोर एवं आज के केरल में एक मलयाली सीरियाई ईसाई माता-पिता के यहाँ हुआ था। वर्ष १९२८ में अन्ना चांडी न्यायालयी सेवा में आयीं। वे केरल की पहली महिला थीं, जिसने क़ानून की डिग्री प्राप्त की थी। उन्हें सर सी.पी. रामास्वामी ने जो त्रावणकोर के तत्कालीन दीवान थे, ज़िला न्यायाधीश (मुंसिफ) के रूप में नियुक्त किया। वे केरल उच्च न्यायालय में ९ फ़रवरी,१९५९ से ५ अप्रैल, १९६७ तक न्यायाधीश के पद पर कार्यरत रहीं। अन्ना चांडी ने महिलाओं को क़ानून के क्षेत्र की ओर जाने हेतू नई राह से परिचय कराया, उनकी आशाओं को नए पर दिए।

उच्च न्यायालय से अवकाश प्राप्त करने के बाद चांडी को लॉ कमीशन ऑफ इंडिया में नियुक्त कर दिया गया। चांडी को महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने ‘श्रीमती’ नाम से एक मैगजीन भी निकाली थी जिसमें उन्होंने महिलाओं से जुड़े मुद्दों को जोर शोर से उठाया। उन्होंने अपनी ‘आत्मकथा’ नाम से अपनी ऑटोबायॉग्रफी भी लिखी थी। साल १९९६ में केरल में ९१ वर्ष की आयु में न्यायमूर्ति अन्ना चांडी का निधन हो गया।

अन्ना चांडी भारत में पहली महिला न्यायाधीश तो थीं ही, जहाँ तक हमारी जानकारी है, शायद वे उच्च न्यायालय के न्यायधीश के पद तक पहुँचने वाली वे दुनिया की दूसरी महिला भी थीं।

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