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संस्कृत, हिन्दी, मैथिली एवं अंग्रेजी के मूर्धन्य विद्वान एवं शिक्षाशास्त्री गंगानाथ झा जी का जन्म २५ दिसंबर, १८७२ ( कहीं कहीं इनका जन्म १५ सितंबर, १८७२ को बताया जाता है) को बिहार के दरभंगा जिले के विद्वान पंडित श्री तीर्थनाथ झा के यहां हुआ था। पिता जी श्री तीर्थनाथ झा जी मैथिल ब्राह्मणों की श्रोत्रिय शाखा के एक धर्मनिष्ठ विद्वान् ब्राह्मण थे जिनका विवाह दरभंगा नरेश के परिवार में हुआ था। पिता जी स्वयं विद्वान पंडित थे अतः गंगानाथ को उन्होंने मैथिली, हिंदी और संस्कृत में पारंगत किया। गंगानाथ जब बड़े हुए तो अध्ययन के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नामांकन ले लिया जहां से उन्होंने एमए किया। अभी उनकी आयु मात्र १८ वर्ष की थी जब उन्होंने संस्कृत में “कतिपयदिवसोद्गमप्ररोह” पद्यात्मक ग्रंथ लिखकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया और तदतंतर “पूर्वमीमांसा के प्रभाकरमत” का मौलिक अनुसंधान लिखकर प्रयाग विश्वविद्यालय की “डीलिट” एवं बाद में अगाध पांडित्य से “महामहोपाध्याय” विद्यासागर और “एलएलडी” उपाधियों से समादृत महामहोपाध्याय डॉ॰ गंगानाथ झा नाम से प्रख्यात हुए। वे क्वींस ओरिएंटल संस्कृत कालेज बनारस के प्रथम भारतीय प्रिंसिपल नियुक्त हुए एवं वर्ष १९२३ में पुनरसंगठित इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रथम निर्वाचित कुलपति हुए और लगातार चुनावों के फलस्वरूप वर्ष १९३२ तक उपकुलपतित्व का दक्षतापूर्ण निर्वाह किया। कुछ समय वे प्रान्तीय लेजिस्लेटिव काउंसिल के मनोनीत सदस्य भी रहे।

विद्वानों के विचार…

संस्कृत के गूढ़तम दर्शन ग्रंथों का अंग्रेजी में भाषांतर कर के डॉ॰ झा ने अंग्रेजी भाषा के भंडार को भर कर भारतीय विचारों को संपूर्ण विश्व के लिए सुलभ किया। इस विषय पश्चिम के विद्वानों ने खुले हृदय से आभार व्यक्त किया है, जो इस प्रकार है…

१. प्रोफेसर ऑटो स्ट्रास ने कहा, “हम सब के लिए जो प्राचीन भारत के दर्शनशास्त्रों को हृदयंगम करना चाहते हैं आप सच्चे उपाध्याय हैं। मीमांसा, न्याय और वेदांत पर आपकी कृतियों के बिना मैं अपनी रचनाएँ नहीं कर सकता था” (झा कमेमोरेशन वॉल्यूम)।

२. सर जार्ज ग्रियर्सन का यह कथन, “डॉ॰ झा की विद्वत्ता का आदर जितना मैं करता हूँ उससे अधिक दूसरा नहीं और न मुझ से अधिक अन्य कोई उनके लेखों के लिए जिनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है कृतज्ञ है।”

रचनाएं…

संस्कृत :

१. बेला महात्म्यम्
२. कतिपयदिवसोद्गमप्ररोह:
३. भक्ति कल्लोलिनी
४. भावबोधिनी
५. खद्योत (वात्स्यायन न्याय भाष्य टीका)
६. मीमांसामंडनम्
७. प्रभाकारप्रदीप।

हिंदी :

१. वैशेषिकदर्पण,
२. न्यायप्रकाश
३. कविरहस्य
४. पटना यूनिवर्सिटी रीडरशिप लेक्चर्स ऑन हिंदू लॉ।

मैथिली… वेदांतदीपिका

अंग्रेजी :

१. प्रभाकर स्कूल ऑव पूर्वमीमांसा,
२. साधोलाल लेक्चर्स ऑन न्याय, ३. फिलासॉफिकल डिसिप्लिन (कमला लेक्चर्स, कलकत्ता यूनिवर्सिटी),
४. हिदू लॉ इन इट्स सोर्सेद (दो भाग),
५. शंकराचार्य ऐंड हिज़ वर्क फ़ॉर द अप्लिफ्ट ऑव द कंट्री, पूर्वमीमांसा ऑव जैमिनि।

अनुवाद…

१. विज्ञान भिक्षु का योगसारसंग्रह
२. मम्मट का काव्यप्रकाश
३. वाचस्पतिमिश्र कृत सांख्यतत्वकौमुदी
४. शांकर भाष्य छांदोग्योपनिषत्
५. श्लोकवार्तिक कुमारिल
६. योगसूत्रभाष्य व्यास
७. तर्कभाषा केशव मिश्र
८. काव्यालंकारवृति वामनकृत
९. खंडनखंडखाद्य
१०. अद्वैतसिद्धि: मधुसूदन सरस्वती
११. विद्यारण्यकृत विवरणप्रमेयसंग्रह
१२. न्याससूत्रभाष्य और वार्तिक चार खंड
१३. प्रशस्तपादभाष्य न्यायकंदली सहित
१४. जैमिनीय पूर्वमीमांसा सूत्र
१५. मेधातिथि-सभाष्य मनुस्मृति
१६. तंत्रवार्तिक कुमारिल
१७. मीमांसा सूत्र भाष्य: शबर
१८. तत्वसंग्रह: शांतरक्षित
१९. विवाद चितापणि: वाचस्पति मिश्र।

संपादित

संस्कृत :

१. कविकरपतिका शंकर कवि
२. प्रायश्चित्त कदंब (गोपाल न्यायपंचानन) पंचीकरण सवार्तिक: शंकराचार्य
३. विवरण और तत्वचंद्रिका अमृतोदय: आपदेव
४. वादि विनोद: शंकर मिश्र
५. भावनाविवेक: मंडन मिश्र
६. न्यायकलिका: जयंतभट्ट
७. न्यायसूत्र जलाशयोत्सर्गपद्धति
८. तंत्ररत्न, मनुभाष्य-मेधातिथि।

अंग्रेजी : इंडियन थॉट, भाग १ से ११ तक

और अंत में…

वर्ष १९४१ में अस्तांचल की ओर अग्रसर होने से पूर्व आदरणीय श्री गंगानाथ झा जी हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति भी हुए। मरणोपरांत उनके अनेक स्मारकों में से एक १७ नवम्बर, १९४३ को स्थापित इलाहाबाद विश्वविद्यालय का ‘गंगानाथ झा रिसर्च इंस्टीट्यूट’ प्रमुख है।

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