एक फिल्म आई थी ‘सूरमा’ जो अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह की जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में संदीप सिंह के गोली लगने और लकवाग्रस्त होने के बाद की कहानी को बड़े खूबसूरत ढंग से दिखाया गया है कि कैसे उन्होंने अपने आपको फिर से इस काबिल बनाया की एक बार पुनः वह खेल के मैदान में परचम लहराने के लिए उठ खड़े हुए। फिल्म की टैगलाइन “द हॉकी लीजेंड संदीप सिंह की सबसे महान वापसी की कहानी” है। सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ते हुए संदीप अपने पैरों पर वापस आ गए और वर्ष २००८ में अंतरराष्ट्रीय हॉकी में वापसी ही नहीं की वरन उन्होंने वर्ष २००९ के सुल्तान अजलान शाह कप को अपनी कप्तानी के तहत जीता और वर्ष २०१२ ओलंपिक के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए आगे बढ़े। कहानी में उनके भाई के योगदान का भी बेहतरीन उल्लेख है जो इन कठिन समय में उनके साथ निरंतर खड़े रहे। अब आइए हम फिल्म से बाहर निकलकर वास्तविकता में आते हैं…
परिचय…
संदीप सिंह का जन्म २७ फरवरी, १९८६ को हरियाणा के एक शहर शाहबाद मार्कंडा में गुरुचरण सिंह भिंडर और दलजीत कौर भिंडर के घर हुआ था। उनकी शुरूआती शिक्षा मोहाली के शिवालिक पब्लिक स्कूल में हुई थी तथा पटियाला में खालसा कॉलेज में पढ़ाई की और बाद में उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातक की परिक्षा पास की। उनके बड़े भाई बिक्रमजीत सिंह एक फील्ड हॉकी खिलाड़ी हैं और इंडियन ऑयल के लिए खेलते थे। वह एक प्रतिभाशाली ड्रैग फ्लिकर थे, परंतु चोटों के कारण अपने सपनों को पूरा नहीं कर सके और बाद में उन्होंने अपने भाई संदीप सिंह को खेल में प्रशिक्षित किया।
विवाह…
संदीप सिंह ने हॉकी खिलाड़ी हरजिंदर कौर के साथ विवाह किया। अपनी किशोरावस्था के दौरान संदीप सिंह जूनियर हॉकी खिलाड़ी हरजिंदर कौर को दिल दे बैठे थे। दोनों के परिवार एक दूसरे के काफी करीब थे अतः दोनों के रिश्ते को जल्दी स्वीकार कर लिया गया। अगस्त २००८ में जब दोनों की सगाई हुई, तब तक दोनों अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे थे। हरजिंदर ने अपनी शादी के बाद संदीप के अनुरोध पर अपने हॉकी के सपनों को पीछे छोड़ दिया और अब अपने बेटे सेहदीप की देखभाल करती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय करियर…
संदीप सिंह ने जनवरी २००४ में कुआलालंपुर में सुल्तान अजलान शाह कप के दौरान अपनी अंतरराष्ट्रीय हॉकी करियर की शुरुआत की। उसी वर्ष अगस्त में उन्होंने एथेंस में आयोजित समर ओलंपिक में अपना ओलंपिक डेब्यू भी किया। इसके अलावा वर्ष २००४ में उन्होंने पाकिस्तान में आयोजित जूनियर एशिया कप हॉकी में १६ गोल किए और टूर्नामेंट में शीर्ष स्कोरर रहे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में ५-२ की जीत में दो गोल किए, जिससे भारत पहली बार इस खिताब को जीतने में सफल रहा। उन्होंने वर्ष २००४ में चैंपियंस ट्रॉफी में लाहौर और अगले वर्ष चेन्नई में खेला और हर बार टूर्नामेंट में तीन गोल किए। उन्होंने सितंबर-अक्टूबर २००५ में भारत-पाक हॉकी श्रृंखला के दौरान तीन गोल भी किए। संदीप सिंह मेलबर्न में आयोजित वर्ष २००६ के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे। वह सात गोल के साथ टूर्नामेंट के शीर्ष गोल स्कोरर थे। जून २००६ में उन्होंने कुआलालंपुर में सुल्तान अजलान शाह कप में तीन गोल किए। वर्ष २००८ के सुल्तान अजलान शाह कप टूर्नामेंट में उन्होंने टॉप गोल स्कोरर पुरस्कार प्राप्त करने के लिए आठ गोल किए और भारत को दूसरा स्थान हासिल करने में मदद की। उन्हें जनवरी २००९ में राष्ट्रीय टीम का कप्तान बनाया गया, जिसके बाद उन्होंने १३ वर्षों में पहली बार सुल्तान अजलान शाह कप जीतने वाली टीम का नेतृत्व किया।
गोली लगने के बाद…
बात वर्ष २००६ की है, जब संदीप सिंह जर्मनी में होने वाले विश्व कप में भाग लेने के लिए घर से ट्रेन में सवार होकर दिल्ली जा रहे थे। २२ अगस्त, २००६ को शताब्दी एक्सप्रेस में एक सुरक्षाकर्मी से गलती से गोली चल गई और वो गोली सीधे संदीप सिंह के रीढ़ की हड्डी के पास जा लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, परंतु उस समय तक उनकी टांगे पैरालाइज्ड हो चुकी थीं। डॉक्टर्स ने तो साफ कह दिया था कि वो व्हीलचेयर से कभी नहीं उठ सकेंगे। हालांकि संदीप सिंह ने कभी हार नहीं मानी। अपने बड़े भाई की सेवा और अपनी इच्छा शक्ति के बदौलत, दो साल बाद उन्होंने वर्ष २००८ में भारतीय हॉकी टीम में वापसी की।
संदीप सिंह से जुड़ी कुछ बातें…
१. संदीप सिंह का जन्म हॉकी खिलाड़ियों के परिवार में हुआ था, क्योंकि उनके बड़े भाई और उनकी भाभी एक हॉकी खिलाड़ी हैं।
२. एक साक्षात्कार में स्वयं संदीप ने खुलासा किया था कि वह एक आलसी छात्र थे; क्योंकि अपने स्कूल के दिनों में उन्हें कोई भी काम करना पसंद नहीं था, बस खाने और सोने के अलावा।
३. शुरू शुरू में वह हॉकी खेलना नहीं चाहते थे, परंतु बड़े भाई की हॉकी-किट और पोशाक उन्हें बहुत पसंद थी, वह माता-पिता ऐसी ही किट की मांग की। उनके माता-पिता इस शर्त पर तब सहमत हुए, जब वह अपने भाई की तरह एक हॉकी खिलाड़ी बनेंगे।
४. संदीप सिंह धनराज पिल्लै के बहुत बड़े प्रशंसक हैं और उन्हें अपना आदर्श मानते हैं।
५. वर्ष २००३ में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम में शामिल किया गया और जिसके चलते वर्ष २००४ के एथेंस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले वह न केवल भारत के बल्कि विश्व के सबसे छोटे खिलाड़ी (१७+ वर्ष की उम्र में) बने।
६. २२ अगस्त, २००६ को, जर्मनी में हॉकी विश्व कप आयोजित होने से कुछ हफ्ते पहले ही संदीप सिंह गोली लगने से घायल हो गए थे। यह घटना तब हुई जब संदीप सिंह कालका-नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे थे, यात्रा के दौरान सहायक सब-इंस्पेक्टर मोहर सिंह की पिस्तौल से अचानक एक गोली संदीप सिंह के दाएं कूल्हे पर लगी। फौरन उन्हें चण्डीगढ़ स्थित पीजीआई ले जाया गया।
७. वर्ष २००८ में, संदीप सिंह ने सुल्तान अजलान शाह कप से हॉकी के खेल में वापसी की, जहां उन्होंने सर्वाधिक ८ गोल किए थे।
८. जनवरी २००९ में, उन्हें भारतीय हॉकी टीम का कप्तान नियुक्त किया गया।
९. अपनी कप्तानी के तहत संदीप सिंह ने १३ वर्षों के बाद भारत को वर्ष २००९ के सुल्तान अजलान शाह कप चैंपियन बनाया था।
१०. वर्ष २०१२ में, लंदन ओलंपिक क्वालीफायर के दौरान फ्रांस के खिलाफ एक मैच में संदीप सिंह ने अपने आदर्श धनराज पिल्लै का सर्वाधिक गोल (१२१) का रिकॉर्ड तोड़ा।
११. हॉकी में उनकी उपलब्धियों के लिए हरियाणा सरकार ने उन्हें हरियाणा पुलिस में डीएसपी रैंक से सम्मानित किया है।