चन्द्रशेखर आजाद, लालबहादुर शास्त्री, कमलापति त्रिपाठी, राजाराम शास्त्री, बीवी केस्कर, एआर शास्त्री, मन्मथनाथ गुप्त, प्राणवेश चटर्जी, त्रिभुवन नारायण सिंह, हरिनाथ शास्त्री, भोला पासवान शास्त्री, रामकृष्ण हेगडे आदि जैसे महान विभूतियों की शिक्षास्थली काशी विद्यापीठ की स्थापना निम्न उद्देश्य के लिए की गई थी…
(क) छात्रों में राष्ट्रीय भावना जागृत करना,
(ख) छात्रों को स्वावलम्बी बनाना,
(ग) हिन्दी भाषा का विकास करना,
(घ) सहयोग एवं सेवा की भावना विकसित करना आदि।
काशी विद्यापीठ की स्थापना…
असहयोग आन्दोलन के समय १० फरवरी, सन् १९२१ को यानी वसन्त पंचमी के पावन अवसर पर बाबू शिव प्रसाद गुप्त जी द्वारा वाराणसी के भदैनी में काशी विद्यापीठ की स्थापना हुई। देशरत्न शिव प्रसाद जी ने विद्यापीठ की स्थापना के लिए भूमि और दस लाख रूपये देकर ‘श्री हर प्रसाद शिक्षा निधि’ की स्थापना की। गांधीजी द्वारा इसकी आधारशिला रखी गई थी। अपनी स्थापना के तुरंत बाद ही काशी विद्यापीठ हिन्दी माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा का प्रमुख केन्द्र बन गया। भारतीयों द्वारा स्थापित यह पहला आधुनिक विश्वविद्यालय था। इसका उद्घाटन अपने समकालीन गुजरात विद्यापीठ व जामिया इस्लामिया की भांति यह विद्यापीठ भी पूरी तरह ब्रिटिश अधिकारियों के नियंत्रण और सहायता से परे था। भारतीय शिक्षाविद और राष्ट्रप्रेमी लोग ही इसका सारा प्रबन्धन और देखरेख करते थे। राष्ट्रवादी उस समय अंग्रेजों द्वारा चलाये जा रहे शिक्षा संस्थानों के वहिष्कार के लिये भारत की जनता को प्रेरित कराते थे और चाहते थे कि लोग भारतीयों द्वारा चलाये जा रहे संस्थानों को प्राथमिकता दें।
शिक्षा प्राप्त करने वाले प्रमुख नाम…
प्रमुख राष्ट्रवादी व विद्वान आचार्य नरेन्द्र देव, डा॰ राजेन्द्र प्रसाद, जीवत राम कृपलानी, बाबू श्री प्रकाश, बाबू सम्पूर्णानन्द आदि महान लोग इसमें शिक्षण कार्य किये। भारत के पूर्व प्रधान मंत्री स्व॰ लाल बहादुर शास्त्री ने भी इस विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण की थी।
विश्वविद्यालय का दर्जा…
वर्ष १९६३ के जुलाई महीने में विद्यापीठ को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय घोषित किया गया। १५ जनवरी, सन् १९७५ से इसे चार्टर्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया।
विशेषताएँ…
विद्यापीठ में अध्ययन-अध्यापन का माध्यम हिन्दी है। यदि कोई छात्र अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा देना चाहे तो उसे इसके लिए कुलपति से विशेष अनुमति प्राप्त करनी होती है। यहाँ की शिक्षा की एक अन्य प्रमुख विशेषता यह है कि यहां छात्रों के अन्दर नेतृत्व एवं प्रशासकीय शक्ति का विकास सम्यक् रूप से करने का प्रयास किया जाता है। इसीलिए आज विद्यापीठ के छात्र लोकसभा, विधान सभा, औद्योगिक प्रतिष्ठान आदि में विद्यमान है। वर्तमान समय में कोई भी परीक्षार्थी हिंदी या अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा दे सकता है।
पाठ्यक्रम…
प्रारम्भ में यहाँ शास्त्री में हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, दर्शन, इतिहास, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि विषय पढ़ाए जाते थे। शास्त्री का पाठ्यक्रम एम.ए. के स्तर का था। इस समय शास्त्री में उल्लेखित विषयों के अतिरिक्त राजनीतिशास्त्र, मनोविज्ञान और समाज सेवा विषय भी वैकल्पिक रूप में निर्धारित हैं। शास्त्री के अतिरिक्त इस समय एम.ए., एम.एस.सी., पी-एच.डी, डी.लिट्. कोर्स चल रहे हैं। शास्त्री के लिए जितने विषय निर्धारित हैं उन सभी मैं एम.ए. करने की भी सुविधा है। शास्त्री कक्षा में सामान्य भाषा के रूप में संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, रूसी, उर्दू और पाली, तमिल भाषाओं का अध्यापन होता है। समाज सेवा विभाग के अन्तर्गत बाल विद्यालय भी चल रहा है। समाज कार्य और वाणिज्य संकाय की शिक्षा राष्ट्रीय स्तर की है, विज्ञान, गणित, सांख्यिकी, कम्प्यूटर साइंस की भी शिक्षा उत्कृष्ट है।
संकाय…
१. सामाजिक कार्य संकाय
२. वाणिज्य एवं प्रबन्धन संकाय
३. शिक्षा संकाय
४. विधि संकाय
५. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय
६. छात्र कल्याण संकाय
७. मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान
८. मानविकी संकाय
९. सामाजिक विज्ञान संकाय
१०. अन्तर्विषयी अध्ययन संकाय
११. पर्यटन शिक्षण संस्थान
१२. कृषि संकाय
छात्रावास…
१. डॉ सम्पूर्णानन्द अनुसंधान छात्रावास
२. आचार्य नरेन्द्रदेव छात्रावास
३. लाल बहादुर शास्त्री छात्रावास
४. जे के महिला छात्रावास
अन्य प्रांगण…
१. डॉ विभूति नारायण सिंह ग्रामीण चिकित्सा संस्थान,
२. गंगापुर (वाराणसी)
३. एनटीपीसी शक्तिनगर, सोनभद्र,
४. भैरव तालाब गंगापुर।