November 21, 2024

विषय : निर्जनता
दिनाँक : १४/०१/२०२०

जिंदगी और मौत के दरम्यान
चुनना है मुझे आज
मगर फर्क है दोनों में खास

यह कैसा जीवन है
और कैसा आह्लाद
कैसी है उसकी खुशियां
और कैसा उसका स्वाद

मृत्यु का आलंगन
प्रेम के शाश्वत सत्य से
आज हमें मिलवाएगा
प्रेम सेतु वो बन जाएगा

जीवन तब तक जीवन था
जब तक उसमें वो था
और आज मृत्यु
जीवन बनकर आया है

उसका मेरे जीवन में रहना
अतिथि की भांति ठहरना
और फिर चले जाना

कर मृत्यु का आलिंगन
दे गया एकान्त का बंधन
जिसमें एकांत की निर्जनता है
निर्जनता में भी भव्यता है

सोचता हूँ किसे चुनू
मृत्यु भरा निर्जन जीवन
या चंचला जिंदगी से सुन्दर
मृत्यु का आलौकिक आलिंगन

एक जिंदगी है जो
उसकी याद में गुजरेगी
दूजी मौत है जो
उससे आज मीलाएगी

अश्विनी राय ‘अरूण’

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