November 23, 2024

लेके पहला पहला प्यार
भरके आंखों मैं खुमार
जादू नगरी से आया है कोई जादूगर
लेके पहला पहला प्यार …

यह गाना हिन्दी फिल्म CID का है जिसे लिखा था मशहूर गीतकार और शायर…

#मजरूहसुल्तानपुरी ने।

इनके द्वारा लिखे गए गीत आज भी एक ताजे फूलों सी खुशबू बिखेरती हैं। इनके गीतों की हर एक लाइन दिल की गहराईयों में उतर जाती हैं, लगता हैं मानो जैसे इनके गीत हमें अपनी ओर खीच रहे हों। यह सच है की इनके द्वारा लिखे हर गीत और शायरी के हर एक लाइन में जादू सा होता है…

छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
इन अदाओं का ज़माना भी है दीवाना
दीवाना क्या कहेगा…

#०१अक्टूबर१९१९ को उत्तरप्रदेश में स्थित जिला सुल्तानपुर में इनका जन्म हुआ था। इनका असली नाम “असरार उल हसन खान” था।

बात उनदिनों की है जब मजरूह साहब अपने हकी़मी का काम छोड़ अपना सारा ध्यान शेरो-शायरी और मुशायरों में लगाने लगे। उनके द्वारा लिखी शेरो शायरी लोगो के दिलो को छू जाती थी,और वो मुशायरो की शान बन गए।

ऐसे हंस हंस के न देखा करो सब की जानिब
लोग ऐसी ही अदाओं पे फ़िदा होते हैं

इसी तरह का एक मुशायरा का कार्यक्रम मुम्बई में था, और इस कार्यक्रम का हिस्सा मजरूह सुल्तान पुरी भी थे। जब उन्होंने अपने शेर मुशायरे में पढ़े तब वही कार्यक्रम में बैठे मशहूर निर्माता ए.आर.कारदार उनकी शायरी सुनकर काफी प्रभावित हुए, और मजरूह साहब से मिले और एक प्रस्ताव रखा की आप हमारी फिल्मो के लिए गीत लिखें, मगर मजरूह साहब ने साफ़ तौर पर मना कर दिया। वो फिल्मो में गीत लिखना अच्छी बात नहीं मानते थे, अतः उन्होने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया।
मगर जिगर मुरादाबादी ने उन्हें समझाया और उन्होने कहा की फिल्मो में गीत लिखना कोई बुरी बात नहीं हैं। इससे मिलने वाले पैसे को आप अपने परिवार को भेज सकते हैं। जिगर मुरादाबादी की बात को मान कर वो फिल्मो में गीत लिखने के लिए तैयार हो गए।

अलग बैठे थे फिर भी
आँख साक़ी की पड़ी हम पर
अगर है तिश्नगी कामिल
तो पैमाने भी आएँगे

और फ़िर उनकी मुलाकात जानेमाने संगीतकार नौशाद से हुयी और नौशाद जी ने उन्हें एक धुन सुनाई और उस धुन पर गीत लिखने को कहा।

इस तरह मजरूह साहब ने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत की, और लिखा एक गाना जिसके बोल थे,
“गेसू बिखराए, बादल आए झूम के” इस गीत के बोल सुनकर नौशाद काफी प्रभावित हुए, और अपनी आने वाली नयी फिल्म “शाहजहां” के लिए गीत लिखने प्रस्ताव रखा दिया।

इक दिन बिक जाएगा, माटी के मोल
जग में रह जाएंगे, प्यारे तेरे बोल
दूजे के होंठों को, देकर अपने गीत
कोई निशानी छोड़, फिर दुनिया से डोल
इक दिन बिक जायेगा…
ला ला ललल्लल्ला

और यही से शुरू हुआ उनका फ़िल्मी सफ़र का दौर और बन गयी एक मशहूर जोड़ी मजरूह सुल्तानपुरी और संगीतकार नौशाद की और लगातार एक के बाद एक फिल्मो में गीत लिखते रहे।

है अपना दिल तो आवारा, न जाने किसपे आयेगा
हसीनों ने बुलाया,गले से भी लगाया
बहुत समझाया,
यही ना समझा बहुत भोला है बेचारा
न जाने किसपे आयेगा
है अपना दिल तो…

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