November 22, 2024

इतनी तकलीफ क्यों ?

मैडम यानी पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री, अभिनेता अमिताभ बच्चन जी की धर्मपत्नी एवं सपा राज्यसभा सांसद श्रीमती जया बच्चन जी को नशेड़ियों पर लगाम लगाने को लेकर इतना दुःख क्यों है? और अगर उन्हें बॉलीवुड कम्यूनिटी के इज्जत की इतनी चिंता है तो यह चिंता तब कहां थी, जब सारे पंजाबियों को नशेड़ी बता कर देश भर में खासकर उनके इसी बॉलीवुड ने ‘उड़ता पंजाब’ जैसी फिल्म बना कर मजाक उड़ाया था। उस समय क्या सारे पंजाबी नशेड़ी थे या आज भी हैं? क्या बात है कि ड्रग मुद्दे पर मात्र हलके से स्पर्श में ही मैडम जी हाय तौबा मचाने लगीं।

रवि किशन ने तो सिर्फ इतना कहा कि ड्रग माफियाओं की खोज होनी चाहिए, जिससे हमारी नई पीढ़ी बच सके। उन्होंने तो किसी का नाम तक नही लिया और मैडम लगीं उन्हें आईना दिखाने, बुरा भला कहने। यह कहां तक जायज है। अगर आप इतनी जागरूक हैं तो आपको स्वयं आगे आना चाहिए और ऐसे लोगों को इंडस्ट्रीज़ से बाहर करावान चाहिए। फ़िल्म इंडस्ट्रीज से जुड़े लोगो का नाम जब ड्रग्स रैकेट में आएगा तो लोग बोलेंगे ही, क्यूंकि जिम्मेदारी सभी की बनती है, इससे प्रभावित सभी होते हैं। वैसे भी आपकी बेटी स्वयं रिया और उस जैसों का समर्थन सोशल साइट्स पर लगातार कर रही हैं।

इसका मतलब तो साफ हो गया कि जया मैडम को अपनी बेटी को लेकर चिंता है, क्योंकि वो रिया चक्रवर्ती की दोस्त है अतः उन्हें यह आग अपने घर तक आता हुआ दिख रहा है। जहां उन्हें एक तरफ पुलिस कि जांच का डर है तो दूसरी तरफ माफिया का डर। मैडम जी को अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा है। पति को सिर्फ पैसा कमाने से मतलब है इसलिए वह चुप्पी साधे हैं, भले ही बॉलीवुड नशे के गहरे भंवर में डूबता चला जाए, भले ही गैरकानूनी कारोबार चलता रहे। ‘अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता’

इसीलिए तो नये बच्चों को आदत लगाने वाले गैंग पर आरोप लगते ही जया जी को बुरा लग गया। अगर ये सारे कृत्य जो सुशांत अथवा रिया के साथ हुआ है इनके बेटे-बेटी के साथ होता तब भी क्या ये ऐसे ही बोलतीं। जबकि इन्हें तो सीनियर होने के नाते कहना चाहिए था कि ये गंदगी दूर करने में हम भी आपके साथ हैं, रवि जी आप आगे बढ़े हम सब मिलकर सहयोग करेंगे। जबकि उसके उलट जो भी कुछ लोग हैं वो आवाज उठा रहे हैं तो इन्हें बुरा लग रहा है। जानते हैं क्यूं…?

सच्चाई यह है कि ये लोग ठाकरे परिवार से डरे हुए हैं अथावा स्वार्थ में हैं, पता नहीं मगर कुछ बात तो है। मुझे आज भी एक वाकया याद है, जब बाल ठाकरे ने इन्हें और इनके सुपर से ऊपर वाले स्टार एंग्री यंग मैन पति को फटकार लगाई थी की तुम इलाहाबाद बहुत जाते हो तो जाओ वहीं बस जाओ। साथ ही मैडम जी से बोला था, अगर आप कोई बयान दोगी तो वह सिर्फ मराठी में होना चाहिए… उस समय तो इनके जबान पर ताले लग गए थे।

और फिर मैडम जी की इज्जत तब कहां थी जब सुशांत की हत्या हुई। तब से लेकर अब तक तो उन्होंने कुछ भी क्यूं नहीं बोला। महाराष्ट्र में इतना कुछ हो चुका है। इन्हीं के इंडस्ट्री की कांगना को गालियां दी जा रही हैं, उनका घर तोड़ा गया तब इन्हें बुरा क्यूं नहीं लगा, जब शिवसेना के गुंडे एक बुजुर्ग को मारते हैं तब ये कहां रहती हैं।

हर 2 मिनट में ट्वीट करने वाले बच्चन साहब एवं उनकी साहिबा में से किसी ने पालघर संत हत्याकांड पर एक भी शब्द नहीं बोला। ठाकरे परिवार अथवा उद्घव सरकार की चमाचा गिरी करने के बजाय ये युवाओं की जिंदगी को तहस-नहस करने वाले ड्रग और इनके माफियाओं पर आक्रोश व्यक्त करते तो कहीं अच्छा होता। आज किसी और के बच्चे ड्रग के शिकार हैं कल उनके बच्चे भी हो सकते हैं। यह ड्रग माफिया केवल युवाओं की जिंदगी से नहीं बल्कि देश के भविष्य को भी दांव पर लगा रहे हैं।

अब समय आ गया है, बॉलीवुड की साजिशों से पर्दा उठाने का। ये बॉलीवुडिया जेहादी फिल्मों की पटकथा इतनी बढ़िया तरीके से लिखवाते हैं कि आतंकवादी मरते दम तक मासूम ही रहता है। अगर विश्वास ना हो तो संजू फिल्म ही देख लो। इसमें से सारी बुराईया छुपा ली गईं और बुराइयों को अच्छाइयों में तब्दील करके दिखा दिया गया। जो नायक 300 लड़कियों को गर्लफ्रेंड बनाता हो वह कितना लायक है यह आप समझ ही गए होंगे। मिशन कश्मीर, फिदा आदि की तरह और भी कई बॉलीवुड में जिहाद को बढ़ावा देने वाली फिल्में आई हैं। फाइनेंसर दुबई में बैठा है और साथ ही कई मुस्लिम देशों से बॉलीवुड में फंड आता है। बंदूक, ड्रग और कला का लाजवाब संगम देखने को मिलता है हमारे हिंदुस्तान में, जो आने वाली पीढ़ी और देश के लिए घातक होता जा रहा है। लेकिन अब बदलाव का समय है, जब जागो तभी सवेरा।

रही बात रबि किशन जी की तो क्या सही मायनों में उन्हें बॉलीवुड ने थाली परोसी है अथवा उसने भोजपुरी फिल्मों से अपनी पहचान बनाई है। अगर सही मायनों में कहा जाए तो रवि किशन का कोई गॉडफादर भी नही था बॉलीवुड में। उन्होंने तो बस आने वाली पीढ़ी को इस ड्रग चंगुल से बचाने के लिए जांच की मांग भर कि है। रवि किशन एक स्टार हैं साथ ही आज भाजपा से लोकसभा सांसद भी हैं। और यह सब उन्हें कोई विरासत में भी नही मिला है, उन्होंने यह सब स्वयं मेहनत करके पाई है। जबकि बच्चन साहब को काम और पहचान अपने पिता के नाम और उनके कांग्रेसी पहचान की बदौलत मिला है। कालांतर में वे सपा के हाथों बिक गए जहां वे अमर सिंह के भी ना हुए। मैडम जी थाली में छेद करना इसे कहते हैं।

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