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काशी में गंगा तट पर अनेक सुंदर घाट बने हैं, ये सभी घाट किसी न किसी पौराणिक या धार्मिक कथा से संबंधित हैं। इनकी गड़ना लगभग ८४ है। ये घाट लगभग ४ मील लम्‍बे तट पर बने हुए हैं। इन ८४ घाटों में पाँच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्‍हें सामूहिक रूप से ‘पंचतीर्थ’ कहा जाता है। ये हैं असी घाट, दशाश्वमेध घाट, आदिकेशव घाट, पंचगंगा घाट तथा मणिकर्णिका घाट।

४३. प्रभुघाट का निर्माण निर्मल कुमार जी ने करवाया था।

४४. प्रयाग घाट का निर्माण रानी हेमन्द कुमारी देवी ने करवाया था।

४५. प्रह्लाद घाट का निर्माण नगर निगम ने करवाया था।

४६. फूटा घाट का निर्माण स्वामी, महेश्वरानंद ने करवाया था।

४७. बच्छराज घाट का निर्माण बाबू शेखर चंद ने करवाया था।

४८. बाजीराव घाट का निर्माण महाराजा, इंदौर ने करवाया था।

४९. बाभाजी घाट का निर्माण माधोराव पेशवा ने करवाया था।

५०. बालाबाई घाट का निर्माण नगर निगम ने करवाया था।

५१. बेनीमाधव घाट का निर्माण नगर निगम ने करवाया था।

५२. ब्रह्म घाट का निर्माण नारायण दीक्षित ने करवाया था।

५३. भदैनी घाट घाट का निर्माण नगर निगम ने करवाया था।

५४. भोंसला घाट का निर्माण महाराजा नागपुर ने करवाया था।

५५. मणिकर्णिका घाट का निर्माण महाराजा, इंदौर ने करवाया था। पौराणिक मान्यताओं से जुड़े मणिकर्णिका घाट का धर्मप्राण जनता में मरणोपरांत अंतिम संस्कार के लिहाज से अत्यधिक महत्त्व है। इस घाट की गणना काशी के पंचतीर्थो में की जाती है। मणिकर्णिका घाट पर स्थित भवनों का निर्माण पेशवा बाजीराव तथा अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।

५६. माता आनंदमयी घाट का निर्माण लाला बच्छराज ने करवाया था।

५७. मान मंदिर घाट का निर्माण महाराजा, जयपुर ने करवाया था।

५८. मानसरोवर घाट का निर्माण नगर निगम ने करवाया था।

५९. मीर घाट का निर्माण मीर रुस्तम अली ने करवाया था।

६०. मुंशी घाट का निर्माण श्रीधर मुंशी ने करवाया था।

६१. मेहता घाट का निर्माण माधोराव पेशवा ने करवाया था।

६२. मैसूर घाट का निर्माण मैसूर राज्य ने करवाया था।

६३. राज घाट का निर्माण नगर निगम ने करवाया है, जो काशी रेलवे स्टेशन से सटे मालवीय सेतु (डफरिन पुल) के पा‌र्श्व में स्थित है। यहां संत रविदास का भव्य मंदिर भी है।

काशी के घाट भाग – ५ 

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