मृत्युंजय महादेव मंदिर को रावणेश्वर मंदिर या फिर रणेश्वर मंदिर भी कहा जाता है। मंदिरों की नगरी काशी में अन्य प्रसिद्ध मंदिरों में से यह भी एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का हिंदू धर्म में बहुत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।
इतिहास…
कहा जाता है कि इस मंदिर के भीतर भी कई छोटे मंदिर हजारों साल पुराने हैं। हालाँकि वर्तमान भवन का निर्माण १८वीं शताब्दी में किया गया था। मृत्युंजय महादेव में एक शिवलिंग और एक कुआँ है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर अपने सभी भक्तों को अप्राकृतिक मृत्यु से दूर रखता है और बीमारियों को ठीक करता है। मृत्युंजय पाठ करने वाले भक्तों द्वारा शिव को मृत्युंजय महादेव (“मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाले महान देवता”) के रूप में पूजा की जाती है । यह भी माना जाता है कि विष्णु के अवतार और आयुर्वेदिक चिकित्सा के देवता धन्वंतरि ने अपनी सभी दवाएं कुएं में डाल दीं, जिससे उसे उपचार शक्ति मिली।
स्थान…
मृत्युंजय महादेव मंदिर, काशी के विशेश्वरगंज अंतर्गत दारानगर में स्थित है। यह मंदिर गोला घाट से १.७ किलोमीटर पश्चिम में, पंच गंगा घाट से १.१ किलोमीटर उत्तर में और कोतवाली से ५०० मीटर दक्षिण-पूर्व में है।
धार्मिक महत्व…
ऐसा माना जाता है कि मंदिर अपने सभी भक्तों को अप्राकृतिक मृत्यु से दूर रखता है और बीमारियों को ठीक करता है, इसलिए भक्त “मृत्युंजय पथ” करते हैं और अपने ऊपर कुएं का जल छिड़कते हैं।
चार विशेष श्रृंगार…
बाबा का साल भर में चार विशेष श्रृंगार होता है। इसमें महामृत्युंजय के साकार रूप का श्रृंगार सबसे खास होता है। इसमें बाबा की आठ भुजाएं, सिर से चंद्र वर्षा, बगल में बगला मुखी माता विराजती हैं। बगला मुखी माता को बाबा के अर्धांगिनी के रूप में मान्यता प्राप्त है। एक हाथ में रुद्राक्ष की माला तो चार भुजाओं में कलश होता है।
मान्यता…
मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से मन की हर कामना पूरी होती है। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त लगातार ४० सोमवार यहां हाजिरी लगाए और त्रिलोचन के इस रूप को फूलों के साथ दूध और जल चढ़ाए तो उसके जीवन से कष्टों का निवारण हो जाता है।
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