काशी खंड के अध्याय ६९ के अनुसार, भगवान भोले नाथ ने जिस स्थान पर गजासुर का वध कर उसकी खाल पहनी थी, वह स्थान रुद्र वसम के नाम से जाना जाता था।
कथा…
एक बार शिव शंभू महादेव, कृति वासेश्वर के स्वरूप में, देवी उमा के साथ बैठे हुए थे, तभी नंदी जी ने प्रार्थना करते हुए कहा, ‘हे महादेव! इस पवित्र स्थान पर आपको समर्पित ६८ पूजा स्थल पहले से ही मौजूद हैं, मगर आपका प्रतीक लिंग के अभाव में ये स्थल कुछ सुने से प्रतीत होते हैं, अतः आपकी अगर आज्ञा हो तो हम शिव भक्त उन स्थानों पर लिंगों की स्थापना करना चाहते हैं।’ नंदी की भक्ति और श्रद्धा को देखकर कृति वासेश्वर बड़े प्रसन्न हुए और आज्ञा दे दी। नंदी ने कई अन्य स्थलों से विभिन्न प्रकार के प्रतिमाओं और शिव लिंगों को लाकर काशी में स्थापित कर दिया।
रामेश्वरम क्षेत्र में जटा देव के नाम से एक शिवलिंग प्रकट हुआ, जिसे नंदी ने काशी में लाकर स्थापित कर दिया। वही लिंग जटेश्वर के नाम से जाना जाने लगा। जो भक्त जटेश्वर अर्थात पातालेश्वर की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पता…
जटेश्वर (पातालेश्वर) हाउस नंबर डी ३२/११८, बंगाली टोला के बाहर स्थित है। भक्त रिक्शा द्वारा बंगाली टोला डाकघर गली तक यात्रा कर सकते हैं और फिर वहां से पैदल चल सकते हैं। भगवान पातालेश्वर की पूजा अराधना आप कभी भी कर सकते हैं।
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