जग क्या है? बस एक आईना, वही दिखाता, जो मन ने ठाना। जैसा...
अश्विनी राय “अरुण”
सूरदास के ‘भ्रमरगीत’ के ये पद हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं, जहाँ प्रेम...
I आम नजर में, दो नहीं, एक ही नाम; शिव ही शंकर, शंकर ही...
आम जनमानस की बात की जाए तो शिव और शंकर में कोई अंतर नहीं...
गांव से मासूमियत को, नगर से उसके नागरिक तो रास्तों से उसकी मंजिल को...
“५० साल की मेहनत आज रंग लाई है।” यह शब्द हैं भारत की पूर्व...
अशोक स्तंभ का इतिहास लगभग २५० ईसा पूर्व सम्राट अशोक के शासनकाल से शुरू...
“पेट जितना भी भरा रहे, आशा कभी नहीं भरती। वह जीवों को कोई-न-कोई अप्राप्य,...
कई कार्यक्रमों में अथवा लोगों से सुना है कि निराला और नेहरू हिंदी साहित्य...
रेडियो के शुरुआती दौर में उसकी भाषा तथाकथित हिंदुस्तानी हुआ करती थी अर्थात उर्दू...