मोबाइल मेरी परछाई नहीं, मेरे कल के काल का अंधेरा है। पीठ पर लादे...
कविता
कुछ ना कहकर सब कुछ कह जाने की कला ही कविता है
मूल से मूल निकालोगे, तो क्या मूल्य तुम पाओगे। सत्य से सत्य को...
अगर बरसातें होती तो क्या बात होती अगर बरसातें… तो क्या… कुछ...
क्या खास है इसमें इक मीठी सी चुसकी के सिवा ना तो इसमें...
न जाने वो कहाँ चली गयी बिन उसके जीवन सजा हो गयी ...
आज अयोध्या में नया भोर है, नए भोर का यह समारोह है। हर...
कितने झंझावात आते, सबको उसने झेला था। जितने बाधा, कंटक आते, सबसे उसने खेला...
UBI Contest ११६ शीर्षक : यदि दुनिया गुलाबी होती यदि दुनिया गुलाबी होती,...
एक बार रत्नाकर डाकू ने बीहड़ में देवर्षि नारद को रोका, उसका स्वभाव था...