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आज हम एक ऐसे उद्योगपति के बारे में बात करने वाले हैं, जिनके द्वारा स्थापित अनेक शिक्षण संस्थानों में से एवं सबसे पुराने कॉलेजों में एक एलिफिंस्टन एडुकेशनल इंस्टीटूशन का एलिफिंस्टन कॉलेज में देश के महानतम एवम प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, समाजसेवियों ने शिक्षा प्राप्त की है, जिनमें से बालशास्त्री जंभेकर, दादा भाई नौरोजी, महादेव गोविन्द रानाडे, रामकृष्ण गोपाल भांडारकर, गोपालकृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक आदि मुख्य हैं…

परिचय…

जगन्नाथ शंकरशेठ मुरकुटे का जन्म १० फरवरी, १८०३ को महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मुरबाद में हुआ था। लोग स्नेह से श्री जगन्नाथ शंकरशेख मुर्कुट को “नाना” कहते हैं। नाना शंकरशेठ के पिता ब्रिटिश के लेनदार थे। व्यापार के लिए वह मुंबई में बस गए। नाना ने ५ वर्ष की आयु में अपनी मां और १८ वर्ष की आयु में अपने पिता को खो दिया, फिर भी उन्होंने सामाजिक कार्यों में मदद की। नाना के पास मराठी, अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत भाषा की कमान थी तथा ब्रिटिश सरकार में विशेषाधिकार प्राप्त थी। १८वीं शताब्दी के मध्य में जगन्नाथ के पूर्वज बाबुलशेठ गणेशशेथ कोंकण से बंबई चले गए। १८वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बाबुलशेठ के बेटे शंकरशेठ दक्षिण मुंबई के एक प्रमुख व्यवसायी थे। वर्तमान समय में मुंबई के फोर्ट बिजनेस जिले में गनबो स्ट्रीट (जिसे अब रूस्तम सिधवा मार्ग कहा जाता है) का नाम गणेशशेठ के नाम पर रखा गया है।

कार्य..

यद्यपि उनका जन्म स्वर्णकार परिवार में हुआ था परंतु उन्होंने अपना पारम्परिक व्यवसाय का कार्य छोड़कर मुंबई में पारसी और अफगानी व्यापारियों के साथ व्यवसाय कर मुंबई में व्यवसाय को बढ़ाने के साथ ही मुंबई के विकास और शिक्षा के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिया।

सामाजिक कार्य…

‘नाना’ ने सामाजिक कार्य के अंतर्गत अनेक शालाओं की स्थापना कराई। इसके लिए उन्होंने स्कूल सोसाइटी और नैटिव स्कूल ऑफ़ बम्बई की स्थापना की थी। उन्होंने लड़कियों के लिए भी विद्यालय खोले। वर्ष १८५६ में उनके द्वारा स्थापित बम्बई विश्वविद्यालय के सबसे पुराने कॉलेजों में एक एलिफिंस्टन एडुकेशनल इंस्टीटूशन का एलिफिंस्टन कॉलेज एक है जिसमें अपने-अपने जीवनकाल में प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री, समाजसेवी और नेता बालशास्त्री जंभेकर, दादा भाई नौरोजी, महादेव गोविन्द रानाडे, रामकृष्ण गोपाल भांडारकर, गोपालकृष्ण गोखले और बाल गंगाधर तिलक जैसे महान व्यक्तियों शिक्षा पायी।

उन्होंने दक्षिण मुम्बई के गिरगांव में खोले गए स्टूडेंट लाइब्रेरी के लिए काफी धन दिए। हिन्दू समाज के भारी विरोध की बावजूद लड़कियों के इस स्कूल की स्थापना में भी ढेर सारा धन लगाया। उन्होंने अपने स्कूलों में अंग्रेजी के साथ ही संस्कृत पढ़ाने की भी व्यवस्था की थी। साथ ही गिरगांव में ही उन्होंने संस्कृत सेमिनरी और संस्कृत लाइब्रेरी की भी स्थापना की थी।

राजनीतिक कार्य…

२६ अगस्त, १८५२ को उन्होंने ‘बॉम्बे एसोसएशन’ के नाम से राजनीतिक दल की भी स्थापना की थी जिसमें तत्कालीन मुंबई की अनेक प्रसिद्ध व्यक्ति थे। इसके पहले अध्यक्ष सर जमशेदजी जेजीभाई बने थे। बाद में दादाभी नौरोजी आदि अन्य युवा भी इससे जुड़ते गए।

धार्मिक कार्य…

गिरगांव में नाना चौक के पास के भवानी-शंकर मंदिर और राम मंदिर भी जगन्नाथ सेठ की ही देन है। पुराने मुंबई के अनेक क्षेत्रों में जगन्नाथ सेठ की कृतियां आज भी मुंबई के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान की साक्षी हैं। तत्कालीन ब्रिटिश राज को उन्होंने मुंबई के अनेक विकास कार्यों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की थी।

अंत में…

‘मुंबई का आद्य शिल्पकार’ कहे जाने वाले भारत के एक परोपकारी एवं शिक्षाविद जगन्नाथ शंकरशेठ मुरकुटे जी जिन्हें ‘नाना शंकरशेठ’ भी कहा जाता था, की मृत्यु ३१ जुलाई, १८६५ को तात्कालिक बंबई में हुआ। मार्च २०२० में महाराष्ट्र सरकार ने ‘मुम्बई सेन्ट्रल’ का नाम बदलकर ‘नाना शंकर सेठ टर्मिनस’ करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी है।

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