कन्हैयालाल मिश्र का जन्म २९ मई, १९०६ ई. में सहारनपुर ज़िले के देवबन्द ग्राम में हुआ था। कन्हैयालाल का मुख्य कार्यक्षेत्र पत्रकारिता था। प्रारम्भ से भी राजनीतिक एवं सामाजिक कार्यों में गहरी दिलचस्पी लेने के कारण कन्हैयालाल को अनेक बार जेल- यात्रा करनी पड़ी। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी कन्हैयालाल ने बराबर कार्य किया है।

रचनाएँ…

प्रभाकर की अब तक सात पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें

१. नयी पीढ़ी, नये विचार (१९५०)

२. ज़िन्दगी मुस्करायी (१९५४)

३. माटी हो गयी सोना (१९५७) कन्हैयालाल के रेखाचित्रों के संग्रह है।

४. आकाश के तारे- धरती के फूल (१९५२) प्रभाकर जी की लघु कहानियों के संग्रह का शीर्षक है।

५. दीप जले, शंख बजे (१९५८) में, जीवन में छोटे पर अपने- आप में बड़े व्यक्तियों के संस्मरणात्मक रेखाचित्रों का संग्रह है।

६. ज़िन्दगी मुस्करायी (१९५४) तथा

७. बाजे पायलिया के घुँघरू (१९५८) नामक संग्रहों में आपके कतिपय छोटे प्रेरणादायी ललित निबन्ध संग्रहीत हैं।

सहज, सरस संस्मरणात्मक शैली में लिखी गयी प्रभाकर जी की सभी कृतियाँ ज्ञानपीठ से प्रकाशित हैं। उनके संस्मरणात्मक निबंध संग्रह दीप जले शंख बजे, ज़िंदगी मुस्कराई, बाजे पायलिया के घुंघरू, ज़िंदगी लहलहाई, क्षण बोले कण मुस्काए, कारवां आगे बढ़े, माटी हो गई सोना गहन मानवतावादी दृष्टिकोण और जीवन दर्शन के परिचायक हैं।

प्रभाकर हिन्दी के श्रेष्ठ रेखाचित्रों, संस्मरण एवं ललित निबन्ध लेखकों में हैं। यह दृष्टव्य है कि उनकी इन रचनाओं में कलागत आत्मपरकता होते हुए भी एक ऐसी तटस्थता बनी रहती है कि उनमें चित्रणीय या संस्मरणीय ही प्रमुख हुआ है- स्वयं लेखक ने उन लोगों के माध्यम से अपने व्यक्ति को स्फीत नहीं करना चाहा है। उनकी शैली की आत्मीयता एवं सहजता पाठक के लिए प्रीतिकर एवं हृदयग्राहिणी होती है। कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की सृजनशीलता ने भी हिन्दी साहित्य को व्यापक आभा प्रदान की। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने उन्हें ‘शैलियों का शैलीकार’ कहा था। कन्हैयालाल जी ने हिन्दी साहित्य के साथ पत्रकारिता को भी व्यापक रूप से समृद्ध किया।

निधन…

कन्हैयालाल मिश्र का निधन ९ मई १९९५ को हुआ।

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