April 10, 2025

“बैधनाथ मिश्र ”

नाम तो सुना होगा …
नही सुना
जी मैं तो कहता हूँ जरूर सुना होगा … ऐसा कौन साहित्य प्रेमी होगा जिन्होंने इनका नाम नहीं सुना होगा ।

30 जून 1911 को जन्मे मिश्र बाबा हिंदी औऱ मैथली के अप्रतिम लेखक औऱ कवि थे । उन्होंने छः से अधिक उपन्यास , एक दर्जन कविता संग्रह , दो खण्ड काव्य , दो मैथली कविता संग्रह , एक मैथली उपन्यास , एक संस्कृत काव्य तथा संस्कृत की अनूदित कृतियों की रचना की है।

बाबा को शायद पहचान गये होंगे आप …नही

चलिये हम बतलाये देतें हैं

हिन्दी साहित्य में उन्होंने #नागार्जुन तथा मैथली मे #यात्री उपनाम से रचनायें की हैं ।

आपने कालिदास को नहीं पढ़ा तो बाबा नागर्जुन को पढिये , आपने विद्यापति को नहीं पढ़ा, कोई बात नहीं आप नागार्जुन को पढ़ें । आपको बौद्ध एवं मार्क्सवाद के दर्शन इनकी लेखनी मे मिलेंगे । व्यवहारिक अनुगमन तथा समय चेतना का संचार भी मिलेगा यहां ।

हिन्दी , मैथली , और संस्कृत के अलावा पालि , प्राकृत , बंगला , सिंहली , तिब्बती आदि भाषाओं में भी उन्होने लिखा है ।

समकालीन प्रमुख हिन्दी साहित्यकार उदय प्रकाश ने बाबा नागार्जुन के व्यक्तित्व-निर्माण एवं कृतित्व की व्यापक महत्ता को एक साथ संकेतित करते हुए एक ही महावाक्य में लिखा है कि “खुद ही विचार करिये, जिस कवि ने बौद्ध दर्शन और मार्क्सवाद का गहन अध्ययन किया हो, राहुल सांकृत्यायन और आनंद कौसल्यायन जैसी प्रचंड मेधाओं का साथी रहा हो, जिसने प्राचीन भारतीय चिंतन परंपरा का ज्ञान पालि, प्राकृत, अपभ्रंश और संस्कृत जैसी भाषाओं में महारत हासिल करके प्राप्त किया हो, जिस कवि ने हिंदी, मैथिली, बंगला और संस्कृत में लगभग एक जैसा वाग्वैदग्ध्य अर्जित किया हो, अपनी मूल प्रज्ञा और संज्ञान में जो तुलसी और कबीर की महान संत परंपरा के निकटस्थ हो, जिस रचनाकार ने ‘बलचनमा’ और ‘वरुण के बेटे’ जैसे उपन्यासों के द्वारा हिंदी में आंचलिक उपन्यास लेखन की नींव रखी हो जिसके चलते हिंदी कथा साहित्य को रेणु जैसी ऐतिहासिक प्रतिभा प्राप्त हुई हो, जिस कवि ने अपने आक्रांत निजी जीवन ही नहीं बल्कि अपने समूचे दिक् और काल की, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों और व्यक्तित्व पर अपनी निर्भ्रांत कलम चलाई हो, (संस्कृत में) बीसवीं सदी के किसी आधुनिक राजनीतिक व्यक्तित्व (लेनिन) पर समूचा खण्डकाव्य रच डाला हो, जिसके हैंडलूम के सस्ते झोले में मेघदूतम् और ‘एकाॅनमिक पाॅलिटिकल वीकली’ एक साथ रखे मिलते हों, जिसकी अंग्रेजी भी किसी समकालीन हिंदी कवि या आलोचक से बेहतर ही रही हो, जिसने रजनी पाम दत्त, नेहरू, बर्तोल्त ब्रेख्ट, निराला, लूशुन से लेकर विनोबा, मोरारजी, जेपी, लोहिया, केन्याता, एलिजाबेथ, आइजन हावर आदि पर स्मरणीय और अत्यंत लोकप्रिय कविताएं लिखी हों — … बीसवीं सदी की हिंदी कविता का प्रतिनिधि बौद्धिक कवि वह है…।”

बाबा बैधनाथ मिश्र या मिशिर बाबा या बाबा नागर्जुन या यात्री जो भी कहियेगा कोई फर्क नहीं । अगर आलसी हैं …ज्यादा पढ़ नहीं सकतें तो सिर्फ़ बाबा को पढ़िये … समझ लीजियेगा पूरा विश्व साहित्य पढ़ डाला ….

धन्यवाद

About Author

Leave a Reply

RocketplayRocketplay casinoCasibom GirişJojobet GirişCasibom Giriş GüncelCasibom Giriş AdresiCandySpinzDafabet AppJeetwinRedbet SverigeViggoslotsCrazyBuzzer casinoCasibomJettbetKmsauto DownloadKmspico ActivatorSweet BonanzaCrazy TimeCrazy Time AppPlinko AppSugar rush