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“द फ्रैक्चर्ड हिमालय: हाउ द पास्ट शैडोज द प्रेजेंट इन इंडिया-चाइना रिलेशंस” नामक एक पुस्तक है, जो इस बात का पता लगाती है कि कैसे भारत और चीन के बीच विवाद की उत्पत्ति एक जीवित इतिहास का हिस्सा बनती है और जो आज उनके टूटे हुए संबंधों को आकार देती है। इस जटिल समस्या को समझना सबक देता है, जो चीन और हिंद-प्रशांत में इसकी रूपरेखा पर व्यापक दृष्टिकोण चाहते हैं। इस लाजवाब पुस्तक की लेखिका पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव हैं। जिनका जन्म केरल के मलप्पुरम अंतर्गत मीमपाट थरवाड़ में ६ दिसंबर, १९५० को हुआ था। उनके पिता सेना में थे। उन्होंने अपनी पढ़ाई देश के विभिन्न शहरों जैसे बेंगलोर, पुणे, लखनऊ, कून्नूर आदि से पूरी की तथा मैसूर विश्वविद्यालय से संबद्ध बेंगलोर के माउंट कारमेल कॉलेज से वर्ष १९७० में अपना अंग्रेज़ी विषय से बीए किया। बाद में, उन्होंने महाराष्ट्र में उस समय मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नाम से जाने जानेवाले विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होने वर्ष १९७३ में अखिल भारतीय नागरिक सेवा परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर भारतीय विदेश सेवा से जुड़ गईं।

जीविका…

निरुपमा राव ने भारतीय विदेश सेवा के १९७३ बैच में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था। भारत में अपना प्रशिक्षण पूर्ण करने के उपरांत उन्होंने सत्तर के दशक के मध्य में वियना (ऑस्ट्रिया) के भारतीय दूतावास में काम किया। वर्ष १९८१-८३ तक श्रीलंका के भारतीय उच्चायोग में प्रथम सचिव के रूप में कार्य किया। विदेश मंत्रालय में अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान, उन्होंने भारत-चीन संबंधों पर विशेषज्ञता हासिल की और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा दिसंबर १९८८ में बीजिंग की अपनी ऐतिहासिक यात्रा के दौरान वे उनके शिष्टमंडल की सदस्य भी रही थीं। वर्ष १९९२-९३ में हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय मामलों के वेदरहेड केंद्र में एक सहयोगी (फेलो) थीं, जहां उन्होंने एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा पर विशेषज्ञता हासिल की।

उन्होंने वाशिंगटन और मास्को के भारतीय दूतावासों में क्रमशः मंत्री और मिशन उप-प्रमुख के रूप में भी कार्य किया। पहली बार एक राजदूत के रूप में उन्हें वर्ष १९९५-१९९८ के मध्य पेरू और बोलीविया की संयुक्त जिम्मेदारी दी गयी। वर्ष २००१ में वे विदेश मंत्रालय की पहली महिला प्रवक्ता बनीं। वर्ष २००४ में उन्हें भारत के उच्चायुक्त के रूप में श्रीलंका में नियुक्त किया गया। वर्ष २००६ में वे चीन में भारत की पहली महिला राजदूत बनीं। १ अगस्त, २००९ को वे शिवशंकर मेनन की जगह भारत की विदेश सचिव बनीं। २१ दिसम्बर, २०१० को भारत सरकार ने भारत के विदेश सचिव के रूप में निरुपमा राव के कार्यकाल को ३१ जुलाई, २०११ तक के लिए बढ़ा दिया।

लेखन…

द फ्रैक्चर्ड हिमालय: हाउ द पास्ट शैडोज द प्रेजेंट इन इंडिया-चाइना रिलेशंस जैसी गंभीर विषय पर अपनी कलम चलाने वाली निरुपमा राव ने ‘रेन राइजिंग’ नामक एक कविता की किताब भी लिखी हैं। उनकी कविताओं का चीनी और रूसी भाषा में अनुवाद किया गया है।

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