Pt._Narendra-Sharma

हम सभी यह भली भांति जानते हैं कि बी.आर. चोपड़ा द्वारा निर्मित टीवी धारावाहिक महाभारत की पटकथा राही मासूम रज़ा साहब ने लिखी थी। परंतु वे यह नहीं जानते कि इस पटकथा लेखन में उनके सहायक कौन थे? तो साहेबान वह थे, हिन्दी के प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं सम्पादक पंडित नरेंद्र शर्मा जी। थे। तो आईए आज हम पंडित नरेंद्र शर्मा जी के बारे में विस्तार से जानेंगे…

परिचय…

नरेंद्र शर्मा जी का जन्म २८ फरवरी, १८१३ को उत्तरप्रदेश के खुर्जा नगर के जहाँगीरपुर नामक स्थान पर हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षाशास्त्र और अंग्रेज़ी में एम.ए. किया। ११ मई, १९४७ को मुम्बई में उनका विवाह सुशीला जी से हुआ जिनसे उन्हें तीन पुत्रियों व एक पुत्र की प्राप्ति हुई।

साहित्यिक परिचय…

वर्ष १९३१ में पंडित नरेंद्र शर्मा की पहली कविता ‘चांद’ में छपी। शीघ्र ही जागरूक, अध्ययनशील और भावुक कवि नरेन्द्र ने उदीयमान नए कवियों में अपना प्रमुख स्थान बना लिया। वर्ष १९३३ में इनकी पहली कहानी प्रयाग के ‘दैनिक भारत’ में प्रकाशित हुई। वर्ष १९३४ में इन्होंने मैथिलीशरण गुप्त की काव्यकृति ‘यशोधरा’ की समीक्षा भी लिखी। वर्ष १९३७ में कविवर सुमित्रानंदन पंत ने कुंवर सुरेश सिंह के आर्थिक सहयोग से नए सामाजिक-राजनीतिक, आर्थिक स्पंदनों से युक्त ‘रूपाभ’ नामक पत्र के संपादन करने का निर्णय लिया। इसके संपादन में सहयोग दिया नरेन्द्र शर्मा ने। भारतीय संस्कृति के प्रमुख ग्रंथ ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ इनके प्रिय ग्रंथ थे। महाभारत में रुचि होने के कारण ये ‘महाभारत’ धारावाहिक के निर्माता बी.आर. चोपड़ा के अंतरंग बन गए। इसलिए जब उन्होंने ‘महाभारत’ धारावाहिक का निर्माण प्रारंभ किया तो नरेन्द्र जी उनके परामर्शदाता बने। उनके जीवन की अंतिम रचना भी ‘महाभारत’ का यह दोहा ही है, “शंखनाद ने कर दिया, समारोह का अंत, अंत यही ले जाएगा, कुरुक्षेत्र पर्यन्त”।

कार्य…

अल्पायु से ही साहित्यिक रचनायें करने वाले पंडित नरेन्द्र शर्मा ने २१ वर्ष की आयु में ही पण्डित मदन मोहन मालवीय द्वारा प्रयाग में स्थापित साप्ताहिक “अभ्युदय” से वर्ष १९३४ से अपनी सम्पादकीय यात्रा प्रारंभ की। काशी विद्यापीठ में हिन्दी व अंग्रेज़ी काव्य के प्राध्यापक पद पर रहते हुए वर्ष १८४९ में वे ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रशासन विरोधी गतिविधियों के लिये गिरफ़्तार कर लिये गये और वर्ष १९४३ में मुक्त होने तक वाराणसी, आगरा और देवली में विभिन्न कारागारों में शचीन्द्रनाथ सान्याल, सोहनसिंह जोश, जयप्रकाश नारायण और सम्पूर्णानन्द जैसे ख्यातिनामों के साथ नज़रबन्द रहे और १९ दिन तक अनशन भी किया। जेल से छूटने पर उन्होंने अनेक फ़िल्मों में गीत लिखे और फिर वर्ष १९५३ से आकाशवाणी से जुड़ गये। इस बीच उनका लेखन कार्य निर्बाध गति से चलता रहा।

प्रमुख कृतियाँ…

नरेन्द्र शर्मा जी ने ११ फरवरी, १९८९ को बंबई में अपनी अंतिम सांस लेने से पूर्व २३ पुस्तकों का लेखन कर हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है, जिनमें से कुछ प्रमुख पुस्तकों के नाम हम नीचे दे रहे हैं।

(क) कविता-संग्रह : प्रवासी के गीत, मिट्टी और फूल, अग्निशस्य, प्यासा निर्झर, मुठ्ठी बंद रहस्य।

(ख) प्रबंध काव्य : मनोकामिनी, द्रौपदी, उत्तरजय सुवर्णा।

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