आज हम बात करने वाले हैं, गोवा मुक्ति संग्राम के प्रमुख नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी विश्वनाथ नारायण लवांडे के बारे में, जिन्होंने गोवा को पुर्तग़ाली साम्राज्य से मुक्त कराने के लिये कड़ा संघर्ष किया था। अब विस्तार पूर्वक…
परिचय…
विश्वनाथ नारायण लवांडे का जन्म २१ फरवरी, १९२३ को पुराने गोवा नगर के रहने वाले एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने बंबई विश्वविद्यालय से विज्ञान विषय में स्नातक और कर्नाटक विश्वविद्यालय से कानून की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। उसके बाद लवांडे रासायन प्रद्योगिकी की डिग्री के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भर्ती हुए, परंतु शीघ्र ही वे गोवा के मुक्ति संग्राम में सम्मिलित हो गये। वे समाजवादी नेता अच्युत पटवर्धन और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया से प्रभावित थे। लवांडे ने लोगों को साम्राज्यवाद के विरुद्ध तथा नवनिर्माण के प्रति जागृत करने का कार्य किया।
गोवा मुक्ति संघर्ष…
वर्ष १९४२ के बाद उन्होंने अपना पूरा समय गोवा के संघर्ष में लगाया। वर्ष १९४६ में डॉक्टर लोहिया के साथ भाड़ गांव की सभा में पुर्तग़ाली साम्राज्य के विरुद्ध भाषण देने के कारण वे गिरफ्तार कर लिए गए। उसके बाद गिरफ्तारी और रिहाई का यह क्रम चलता रहा। वर्ष १९४७ में ‘आजाद गोंगतक दल’ नामक क्रांतिकारी संगठन बनाया, जिसके विश्वनाथ नारायण लवांडे अध्यक्ष थे। इस दल की ओर से सरकारी कार्यालयों, पुलिस चौकियों, सरकारी कोषागारों आदि पर आक्रमण होने लगे। ‘आजाद गोंगतक दल’ ने जुलाई और अगस्त १९५४ में सशस्त्र बल प्रयोग से दादरा और नगर हवेली को पुर्तग़ालियों से मुक्त करा लिया। लवांडे को इन आजाद बस्तियों का प्रथम प्रशासक नियुक्त किया गया। दिसंबर १९६१ में भारतीय सेना के हस्तक्षेप से गोवा स्वतंत्र हो गया।