भारतीय जनता पार्टी ने गोरखनाथ मठ के पूर्व महन्त योगी अवैद्यनाथ जी को उनके वृद्ध अवस्था में प्रथम बार वर्ष १९९१ में लोक सभा टिकट दिया। जनमानस में योगी अवैद्यनाथ जी का ऐसा प्रभाव था की वे भारी मत से चुनाव जीत गए। उनकी इसी लोकप्रियता को भुनाने के लिए भाजपा ने पुनः वर्ष १९९६ में उन्हें चुनाव में उतारा, वे इस बार भी लोकसभा चुनाव जीत गए। मगर जब भाजपा उन्हें तीसरी बार टिकट देने आई तो उन्होंने चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया। काफी कहने पर भी जब वे नहीं माने तो भाजपा हाई कमान ने उनसे अपने स्थान पर चुनाव लड़ने के लिए किसी योग्य अधिकारी का नाम देने को कहा।
तब उन्होंने अपने सबसे विश्वसनीय, प्रतिभाशाली योग्य शिष्य योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से सेवक योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई। योगी आदित्यनाथ ने भी अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर वर्ष १९९८ में लोकसभा चुनाव लड़ा ही नहीं बल्कि उसे जीता भी। मात्र २६ वर्ष की आयु में ही वे भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बन गए। यह कारवां अब तक नहीं थमा है वे गोरखपुर से लगातार पाँच बार से सांसद हैं। आइए आज हम उत्तरप्रदेश सरकार के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी के जीवन के पहलू को जानें…
परिचय…
योगी आदित्यनाथ का जन्म ५ जून, १९७२ को उत्तराखण्ड के गढ़वाल में हुआ था। उनका वास्तविक नाम अजय सिंह बिष्ट है। उन्होंने २२ वर्ष की अवस्था में गृह त्याग कर संन्यास ग्रहण कर लिया। गोरखनाथ मंदिर के महन्त अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ बारहवीं लोक सभा (१९९८-१९९९) के सबसे युवा सांसद थे। उस समय उनकी उम्र महज २६ वर्ष की थी। जहां आज समाज धर्म निरपेक्षता की बात कर रहा है वहीं वे सच्चे सनातनी हैं, उन्होंने धर्मांतरण तथा गौ वध रोकने की दिशा में सार्थक कार्य किये हैं।
शिक्षा…
योगी आदित्यनाथ ने टिहरी के गजा के स्थानीय स्कूल में अपनी प्रारम्भिक शिक्षा शुरू की थी। स्कूल और कॉलेज के प्रमाणपत्र में उनका नाम अजय सिंह नेगी है। उन्होंने वर्ष १९८७ में टिहरी के गजा स्कूल से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष १९८९ में उन्होंने ऋषिकेश के भरत मंदिर इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद वर्ष १९९० में अपनी स्नातक की शिक्षा ग्रहण करते हुए वे एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) से जुड़ गये। वर्ष १९९२ में कोटद्वार के गढ़वाल विश्वविद्यालय से उन्होंने गणित में बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। योगी आदित्यनाथ वर्ष १९९३ में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर रिसर्च करने गोरखपुर आए। यहाँ गोरक्षनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ की नज़र अजय सिंह नेगी (आदित्यनाथ) पर पड़ी। इसके बाद वर्ष १९९४ में सांसारिक मोहमाया त्यागकर वे पूर्ण संन्यासी बन गए और दीक्षा लेने के बाद उनका नाम अजय सिंह नेगी से योगी आदित्यानाथ हो गया।
हिन्दू पुनर्जागरण अभियान…
योगी आदित्यनाथ ने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर, आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली में वे निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार उनके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ। अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी उत्तरप्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हज़ारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तरप्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में उन्होंने सफलता प्राप्त की। उनके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णत: समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।
राजनीतिक गतिविधियाँ…
गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ जी ने जब वर्ष १९९८ में राजनीति से संन्यास लिया, तब उन्होंने योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। यहीं से योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी शुरू हुई। योगी आदित्यनाथ ने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर वर्ष १९९८ में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र २६ वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग १५०० ग्राम सभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्हें वर्ष १९९९, २००४, २००९ और २०१४ के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर पांच बार लोकसभा का सदस्य बनाया।
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण योगी आदित्यनाथ को केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया। व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी योगी आदित्यनाथ की प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण आदित्यनाथ जी लगभग ३६ शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।
हिन्दुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिन्दुत्व के प्रहरी योगी आदित्यनाथ जी को ‘विश्व हिन्दू महासंघ’ जैसी हिन्दुओं की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्त्वपूर्ण दायित्व दिया, जिसका सफलतापूर्वक निर्वहन करते हुए आदित्यनाथ जी वर्ष १९९७, २००३, २००६ में गोरखपुर में और २००८ में तुलसीपुर (बलरामपुर) में विश्व हिन्दू महासंघ के अन्तर्राष्ट्रीय अधिवेशन को सम्पन्न कराया। राजनीति के मैदान में आते ही उन्होंने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली। उन्होंने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी।
वर्ष २०१७ में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने योगी आदित्यनाथ के जनमानस में प्रभाव को देखते हुए, उनसे पूरे राज्य भर में जोरों शोरों से प्रचार कराया, इसके लिए इन्हें एक हेलीकॉप्टर भी दिया गया। १९ मार्च, २०१७ में उत्तरप्रदेश के बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुनकर मुख्यमंत्री पद सौंपा गया। शपथ समारोह लखनऊ के कांशीराम स्मृति उपवन में हुआ। इनके साथ दो उप-मुख्यमंत्री भी बनाये गए। उत्तरप्रदेश के राजनीतिक इतिहास में पहली बार दो उप-मुख्यमंत्री बने। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए थे। मंच पर अखिलेश यादव और मुलायम सिंह भी मौजूद रहे।
लेखन कार्य…
योगी आदित्यनाथ की बहुमुखी प्रतिभा का एक आयाम लेखक का भी है। अपने दैनिक वृत्त पर विज्ञप्ति लिखने जैसे श्रमसाध्य कार्य के साथ-साथ आप समय-समय पर अपने विचार को स्तम्भ के रूप में समाचार पत्रों में भेजते रहते हैं। अत्यल्प अवधि में ही आदित्यनाथ जी ने निम्न पुस्तकें लिखी हैं…
१. यौगिक षटकर्म
२. हठयोग: स्वरूप एवं साधना
३. राजयोग: स्वरूप एवं साधना
४. हिन्दू राष्ट्र नेपाल
इसके अलावा श्री गोरखनाथ मन्दिर से प्रकाशित होने वाली वार्षिक पुस्तक ‘योगवाणी’ के योगी आदित्यनाथ प्रधान सम्पादक भी हैं। साथ ही वे ‘हिन्दवी’ साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रधान सम्पादक भी रहे हैं। उनका कुशल नेतृत्व युगान्तकारी है और एक नया इतिहास रच रहा है।
व्यक्तित्व आयाम…
योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व के कई आयाम हैं। उनका जीवन एक योगी का जीवन है, सन्त का जीवन है। पीड़ित, ग़रीब, असहाय के प्रति करुणा, किसी के भी प्रति अन्याय एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध तनकर खड़ा हो जाने का निर्भीक मन, विचारधारा एवं सिद्धान्त के प्रति अटल, लाभ-हानि, मान-सम्मान की चिन्ता किये बगैर साहस के साथ किसी भी सीमा तक जाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा का प्रयास उनकी पहचान है।
स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा के क्षेत्र में योगदान… शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दिये जाने के गोरक्षपीठ द्वारा जारी अभियान को योगी आदित्यनाथ ने भी और सशक्त ढंग से आगे बढ़ाया है। उनके नेतृत्व में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा आज तीन दर्जन से भी अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएँ गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपद में कुष्ठ रोगियों एवं वनटांगियों के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा से लेकर बी.एड. एवं पॉलिटेक्निक जैसे रोज़गारपरक सस्ती एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने का भगीरथ प्रयास जारी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय ने अमीर-गरीब सभी के लिये एक समान उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी हैं। निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों ने जनता के घर तक स्वास्थ्य सुविधाएँ पहुचायी हैं।
सामाजिक समरसता के अग्रदूत… गोरक्षपीठ का मंत्र है, “जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई।” गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के पद-चिह्नों पर चलते हुए योगी आदित्यनाथ ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से एक साथ बैठें-एक साथ खाएँं मंत्र का उन्होंने उद्घोष किया।
मानवता को समर्पित जीवन… वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्याग कर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग योगी आदित्यनाथ ने स्वीकार किया है। उनके जीवन का उद्देश्य है, “न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।”
अर्थात् “हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।”