Tag: तुलसीदास

निर्धन विचारों से शोषित मानस

  प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥ ढोल गंवार सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥ अर्थात : प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी (दंड दिया), किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव)...
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