एक मजदुर की बिडम्बना देखें तो वो पैसे के लिए मजबूर है। पैसे की बिडम्बना देखें तो वो मजदुर के खातीर मजबूर है। कई ऐसे स्कूल ऐसे हैं जो स्टुडेंट से मजबूर हैं और कई स्कूल के बच्चे स्कूल प्रबंधन से मजबूर है। किसान अपनी फसल के सही मूल्य के खातिर मजबूर है और एक तरफ रातों में भूखे पेट सोने वाले गरीब मजबूर है। देखी जाये तो हमारा सिस्टम ही मजबूर है  उसे यह नहीं  पता की कब क्या करना है। हम एक मजबूर सिस्टम के मजबूर निवासी हैं।

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