सारी दुनिया ऑनलाइन हो रही है मगर हम तो कुछ तेज़ी में हैं जैसे ऑनलाइन की डेडलाइन मुकर्र हो चुकी है। मोदी तो जैसे ऑनलाइन कंपनियों से एग्रीमेंट कर के ही बैठे हैं।

अभी अभी एक मोबाइल रेटेलर से बात हो रही थी उन्होंने कहा की मैं एक माह पहले तक चार हजार तक का रिचार्ज कर लेता था मगर अब दो हजार भी कर पाना भी मुस्किल हो रहा है। यह सिर्फ ऑनलाइन सेवा की देन है। यही स्थिती हर एक रिटेलर्स की है। अब आप ही बताए की अगर धन्दा मंदा पड़ जाये और एक दिन वो बंद हो जाये तो वो रेटेलर्स और उनका परिवार का क्या होगा। 

अगर ऐसा ही रहा तो पुरे देश में सिर्फ कुछ कंपनिया ही रहेंगी जो अपनी शर्तों पर सामान बेचेंगी और हमें खरीदना ही पड़ेगा।

दूसरी बात जब छोटे ब्यापारी नहीं रहेंगे तो इतनी बड़ी आबादी को काम कौन देगा और वो ब्यापारी भी कही नौकरी करने को मजबूर होंगे।

यानी पूरी आबादी नौकर

या गूलाम।

ईस्ट इंडिया कॉम्पनी की वापसी और पूरा देश गुलाम।

वाह जी मोदीजी आप हमें कैशलेस कर सकते हैं ब्रैन्लेश नहीं । 

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