आज हम बात करने वाले हैं, आज के विषय पर यानी दैनिक समाचार पत्र ‘आज’ के बारे में, जो कभी वाराणसी से प्रकाशित प्रमुख हिन्दी दैनिक पत्र था, तथा जो अब वाराणसी सहित कानपुर आदि अनेक स्थानों से भी प्रकाशित होता है। स्वाधीनता की लडाई से अब तक जनचेतना, जनजागृति एवं व्यवस्था परिवर्तन में अनन्य योगदान देने वाले समाचार पत्र दैनिक ‘आज’ के तात्कालिक सम्पादक शार्दूल विक्रम गुप्त जी हैं।
परिचय…
संवत् १९११ ई. विक्रमी की जन्माष्टमी यानी ५ सितम्बर, १९२० को इस पत्र की स्थापना भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिव प्रसाद गुप्त जी ने की थी। कुछ वर्षों (१९४३ से १९४७ तक) को छोड़कर पण्डित बाबूराव विष्णु पराडकर जी वर्ष १९२० से १९५५ तक ‘आज’ के संपादक रहे।
इतिहास…
हिन्दी-समाचार पत्रों के इतिहास में ‘आज’ का प्रकाशन उल्लेखनीय घटना थी। काशी के बाबू शिवप्रशाद गुप्त जी हिन्दी में ऐसे दैनिक पत्र की कल्पना लेकर वर्ष १९१९ में विदेश भ्रमण से लौटे जो ‘लन्दन टाइम्स’ जैसा प्रभावशाली हो। गुप्तजी ने ज्ञानमण्डल की स्थापना की और ५ सितम्बर, १९२० को ‘आज’ का प्रकाशन शुरू किया और प्रकाशजी इसके प्रथम सम्पादक बने। वर्ष १९२४ से लेकर १३ अगस्त, १९४२ तक पराड़करजी ‘आज’ के प्रधान सम्पादक रहे। इन तीन दशकों में ‘आज’ और पराड़करजी ने हिन्दी पत्रकार-कला को नया स्वरूप, नई गति और नई दिशा प्रदान की। ‘आज’ ने हिन्दी पत्रकारिता का मानदण्ड स्थापित किया। दिल्ली से काशी तक अपना हिन्दी दूरमुद्रण यन्त्र लगाने वाला यह पहला पत्र था। ‘आज’ ने हिन्दी को अनेक नये शब्द प्रदान किए, जैसे इनमें सर्वश्री, श्री, राष्ट्रपति मुद्रास्फीति, लोकतन्त्र, स्वराज्य, वातावरण, कार्रवाई, अन्तर्राष्ट्रीय और चालू जैसे शब्द हैं। लोकमान्य तिलक की प्रेरणा से जन्मा ‘आज’ महात्मा गाँधी के आन्दोलनों का अग्रदूत बना। सत्यग्रहियों की नामावलियों को छापने का साहस केवल ‘आज’ ने किया। ब्रिटिश शासनकाल में सरकार के कोप व दमन के कारण ‘आज’ का प्रकाशन रुका तो साइक्लोस्टाइल में ‘रणभेरी’ का प्रकाशन कर पराड़करजी ने राष्ट्रीय जागरण की गति को मन्द पड़ने नहीं दिया।
‘आज’ के अग्रलेखों और टिप्पणियों ने ‘आज’ के महत्त्व को बढ़ाया। ‘आज’ के अग्रलेख लेखकों में सर्वश्री सम्पूर्णानन्द, आचार्य नरेन्द्र देव और श्रीप्रकाश जी भी थे। वर्ष १९३० के बाद पं कमलापति त्रिपाठी जी भी संपादकीय लेखकों में शामिल हो गए। पराड़करजी तथा कमलापति जी के प्रभावी अग्रलेखों ने इस पत्र को हिन्दी का श्रेष्ठ दैनिक बना दिया। भाषा तथा शैली की दृष्टि से भी ‘आज’ ने असंख्य पाठकों को अच्छी हिन्दी सिखाई। ‘आज’ में ‘खुदा की राह पर’ शीर्षक से नियमित व्यंग्य का स्तम्भ रहता था जिसके लेखकों में सूर्यनाथ तकरु और बेढब बनारसी प्रमुख थे। ‘आज’ से बेचन शर्मा ‘उग्र’ का साहित्यिक जीवन प्रारम्भ हुआ। ‘उग्र’ इसमें व्यंग्य लिखते थे। प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, डॉ॰ भगवानदास जैसे मनीषी भी इसमें लिखते थे। राष्ट्रीय आन्दोलन और समाज सुधार का यह प्रबल समर्थक रहा है। ‘आज’ में वर्मा, थाइलैण्ड, मारिशस स्थित संवाददाताओं के समाचार नियमित रूप से छपते रहते हैं। गाँव की चिठ्टी, चतुरी चाचा की चिठ्ठी इसके विशेष गोचर रहे हैं। जिलों और नगरों के विशेष संस्करण निकालना ‘आज’ की अपनी विशेषता है। ‘आज’ के सम्पादकों के नाम हैं- सर्वश्री प्रकाश, बाबूराव विष्णु पराडकर, कमलापति त्रिपाठी, विद्याभास्कर, श्रीकांत ठाकुर, रामकृष्ण रघुनाथ बिडिलकर। वर्तमान में शार्दूल विक्रम गुप्त इस पत्र के सम्पादक हैं।
प्रकाशन स्थल…
ज्ञानमण्डल लिमिटेड के लिए अखिलेश चन्द द्वारा ज्ञानमण्डल यंत्रालय ज्ञानमण्डल लिमिटेड लाहिडी बिल्डिंग बैंक रोड, गोरखपुर से ‘दैनिक आज’ प्रकाशित होता है। गोरखपुर के अतिरिक्त वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, झांसी, लखनऊ, हल्द्वानी, आगरा, बरेली, पटना, रांची, धनबाद तथा जमशेदपुर से भी प्रकाशित होता है।