एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो

मशहूर शायर राहत इंदौरी जी अब नहीं रहे…

उन्होने शायरी और गजलों के माध्यम से सरकारों को हरदम चेताया है तो इधर कई फिल्मों में गाने भी उन्होने लिखे। आज जब राहत इंदौरी साहब हम सबों के मध्य नहीं हैं, तो उन्हें याद करने के लिए हम उन्हें उन्हीं के शेरों के माध्यम से पढ़ते हैं…

बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए

वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया

अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया

सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है

मैं ताज हूं तो ताज को सर पर सजाएँ लोग
मैं ख़ाक हूं तो ख़ाक उड़ा देनी चाहिए

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को
वहाँ पे ढूँढ रहे हैं जहां नहीं हूँ मैं

बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के न लिए
हम ने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से

हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ’ नहीं देंगे
ज़मीन माँ है ज़मीं को दग़ा नहीं देंगे

राहत इंदौरी ने मरने से पहले मंगलवार की सुबह अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा था, “कोविड के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर कल मेरा कोरोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। ऑरविंदो हॉस्पिटल में एडमिट हूं, दुआ कीजिए जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं.”

लेकिन…

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था

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