November 22, 2024

कभी कभी कुछ ऐसा देखने को, पढ़ने को अथवा जानने को मिल जाता है की उत्सुकता जाग उठती है उस पर कुछ लिखने की। और ऐसा तब और भी ज्यादा मन बैचेन हो उठता है जब वह कोई साहित्यकार हो। हम आज ऐसे ही एक साहित्यिक हस्ती पर चर्चा करने वाले हैं जो भारतीय राजनीति के नभ में कभी अपनी चमाचमाहट बिखेरे हुए था। वे उत्तरप्रदेश एवं हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। उन्होंने लगभग देश के संपूर्ण विश्वविद्यालयों एवं साहित्यिक संस्थानों की व्याख्यान मालाओं में भागीदारी ली। वे भक्ति साहित्य के विद्वान थे। इसके अलावा काव्य पाठन, भ्रमण, शिक्षा साहित्य तथा दर्शन आदि के क्षेत्रों में भी उनकी विशेष रूचि थी। इन बातों को जानकर आपकी भी जिज्ञासा उन्हें जानने की जाग उठी होगी।

परिचय…

इन महान हस्ती का नाम विष्णुकांत शास्त्री है। जिनका जन्म २ मई, १९२९ को कोलकाता में हुआ था और विवाह २६ जनवरी, १९५३ को श्रीमती इन्दिरा देवी से हुआ। जिनसे इनकी एक पुत्री भारती शर्मा हुई। शास्त्री जी ने बी.ए., एम.ए., तथा एल.एल.बी. की पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय से पूरी की। एम.ए. में इनका विषय हिन्दी था जिसमें इन्होने प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। २४ नवम्बर, २००० से २ जुलाई, २००४ छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा मानद उपाधि, डी.लिट. तथा बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट्. की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।

कार्य…

विवाह के वर्ष ही यानी वर्ष १९५३ में ही वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक नियुक्त हो गए। क्रमशः पदोन्नति करते हुए आचार्य एवं विभागाध्यक्ष बने। आचार्य के पद से उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से ३१ मई, १९९४ को अवकाश प्राप्त कर लिया। वर्ष १९४४ में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बद्ध हुये। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (कलकत्ता शाखा), श्री बड़ा बाज़ार कुमार सभा, पुस्तकालय, अनामिका और कालांतर में भारतीय जनता पार्टी (पश्चिमी बंगाल) के अध्यक्ष भी रहे।

१. वे बंगीय हिन्दी परिषद के उपाध्यक्ष
२. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
३. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मारक समिति के महामंत्री
४. भारतीय भाषा परिषद के मंत्री
५. भारत भवन, भोपाल के ट्रस्टी
६. सीनेट, कलकत्ता विश्वविद्यालय
७. कार्यकारी समिति, भारतीय हिन्दी परिषद
८. हिन्दी अध्ययन बोर्ड इलाहाबाद विश्वविद्यालय
९. कार्यकारी समिति, कलकत्ता विश्वविद्यालय
१०. बांग्लादेश सहायक समिति
११. हिन्दी सलाहकार समिति गृह मंत्रालय एवं सूचना प्रसारण मंत्रालय (वर्ष १९७७-१९७९) के सदस्य
१२. भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की समिति तथा परामर्ष समिति (१९९२-१९९८)
१३. संसदीय राजभाषा समिति (१९९४-१९९८) के सदस्य रहे।

साहित्यकार…

राजनीतिक, सामाजिक एवम पारिवारिक जिम्मेदारियों को निर्वहन करते हुए देश भर के विश्वविद्यालयों एवं साहित्यिक संस्थानों की व्याख्यान मालाओं में भी उनकी महती भूमिका रहती थी।

कृतियां

क. मौलिक…
१. कवि निराला की वेदना तथा निबन्ध
२. कुछ चंदन की कुछ कपूर की
३. चिन्तन मुद्रा
४. अनुचिंतन (साहित्य समीक्षा)
५. तुलसी के हियहेरि (तुलसी केन्द्रित निबंध)
६. बांग्लादेश के सन्दर्भ में(रिपोताॅज)
७. स्मरण को पाथेय बनने दो
८. सुधियां उस चंदन के वनकी (यात्रा वृतांत व संस्मरण)
९. भक्ति और शरणागत (विवेचन)
१०. ज्ञान और कर्म (चिन्तन दर्शन)
११. अनंत पथ के यात्री- धर्मवीर भारती (संस्मरण)।

ख. अनूदित…
१. उपकालिदासय (बांग्ला से हिन्दी)
२. संकल्प-संत्रास-संकल्प (बांग्लादेश की संग्रामी कविताओं का काव्यानुवाद)
३. महात्मा गांधी का समाज दर्शन (अंग्रेजी से हिन्दी)।

सम्पादित…
१. दर्शन और आज का हिन्दी रंगमंच
२. बालमुकंद गुप्त: एक मूल्यांकन
३. बांग्लादेश: संस्कृति और साहित्य
४. तुलसीदासः आज के संदर्भ में
५. कलकत्ता १९९३
६. अमर आग है (अटल बिहारी वाजपेयी की चुनी हुई कविताओं का संकलन)।

पत्रिका… ’रस वृन्दावन’ धर्मिक मासिक पत्रिका के प्रधान सम्पादक (१९७९-१९८४)।

राजनीतिक गतिविधियाँ…

१. वर्ष १९७७ में जनता पार्टी के टिकट पर पश्चिम बंगाल विधान सभा में विधायक।
२. वर्ष १९८० में नवगठित भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए।
३. पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष (१९८२-१९८६) रहे।
४.भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (१९८८-१९९३)।
५. राज्यसभा में सांसद (१९९२-१९९८)
६. भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य (१९८०-१९९९) रहे।

विदेश यात्रा…

विष्णुकांत शास्त्री ने विभिन्न देशों में भ्रमण किया- सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, बांग्लादेश, कनाडा, रूस, सिंगापुर, मलेशिया व थाईलैंड।

सम्मान एवं पुरस्कार…

१. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल पुरस्कार- उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा १९७२-१९७३ में ‘कुछ चंदन की कुछ कपूर की’ पुस्तक पर।
२. राज्य साहित्यिक पुरस्कार- उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा १९७४-१९७५ में ‘‘बांग्लादेश के संदर्भ में’’ पुस्तक पर।
३. विशेष पुरस्कार- उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा १९७८-१९७९ में ‘स्मरण को पाथेय बनने दो’ पुस्तक पर।
४. रामायण महोत्सव प्रतिष्ठान, चित्रकुट (उ.प्र.) द्वारा १९ मार्च, १९७९ को विशिष्ट सम्मान तुलसी साहित्य पर किये गये विशेष कार्य हेतु।
५. साहित्य भूषण सम्मान
६. डॉ. राम मनोहर लोहिया सम्मान
७. राजर्षि टंडन हिन्दी सेवी सम्मान से सम्मानित हुए।
८. रामकृष्ण मिशन इंस्टीट्यूट ऑफ़ कल्चर, कलकत्ता द्वारा १९७९ के लिये लेक्चरर के रूप में ‘राम चरित मानस में ज्ञान और भक्ति विषय पर व्याख्यान के लिए, ३१ जनवरी, २००० को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा मानद डी.लिट. की उपाधि से सम्मानित।
९. ६ अगस्त, २००१ को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट. की उपाधि से सम्मानित किया गया।

मृत्यु…

काव्य पाठ्य, भ्रमण, शिक्षा साहित्य, दर्शन आदि क्षेत्रों में रूचि रखने वाले शास्त्री जी को २ दिसम्बर, १९९९ को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का कार्यभार तथा २४ नवम्बर, २००० को उत्तरप्रदेश के राज्यपाल पद पर सुषोभित हुए। वे उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ भक्ति साहित्य के अधिकारी भी थे। शास्त्री जी का देहांत १७ अप्रैल, २००५ को उनके आवास पर परिजनों के मध्य हो गया।

About Author

Leave a Reply