प्रकाश हिन्दुस्तानी ने अपने एक लेख में कहा है, “छोटे अखबारों और केबल की दुनिया में यह बात आम है, लेकिन सेटेलाइट चैनलों की दुनिया में इसे अजूबा ही कहा जाएगा कि मालिक, पत्रकार की तरह बनना चाहे और पत्रकार, मालिक की तरह। रजत शर्मा का करियर पत्रकार के रूप में शुरू हुआ और आज वे इंडिया टीवी के सर्वेसर्वा है। दूसरी तरफ सुभाष चंद्रा है जिन्होंने बहुुत छोटे से स्तर पर कारोबार शुरू किया और पैकेजिंग की दुनिया से टीवी की दुनिया में आए। रजत शर्मा कभी इनके चैनल पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया करते थे। इतने बरसों में यह अंतर आया है कि रजत शर्मा सुभाष चंद्रा की तरह मालिक बन गए और सुभाष चंद्रा रजत शर्मा की तरह टीवी प्रेजेंटर बनने की कोशिश कर रहे है। चैनलों का मालिक होने का फायदा सुभाष चंद्रा को जरूर है, लेकिन इससे वे रजत शर्मा की बराबरी नहीं कर सकते।”
यहां सब कुछ सही है मगर सुभाष चंद्रा साहब रजत शर्मा की बराबरी कर रहे हैं, यह कुछ हजम नहीं हुआ। और मैं ऐसा क्यूं कह रहा हूं, यह जानने के लिए हमें पहले, भारत में सर्वप्रथम केबल टीवी की शुरुवात करने वाले, एक उद्यमी, मीडिया स्वामी तथा अभिप्रेरक वक्ता और भारत के सबसे विशाल टीवी चैनल समूह ज़ी मीडिया तथा एस्सेल समूह के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्रा जी के बारे में जान लेते हैं। जिन्होंने भारत में उपग्रह टेलीविजन प्रसारण में क्रान्ति का सूत्रपात किया था।
परिचय…
सुभाष चंद्रा जी का जन्म ३० नवंबर, १९५० को हरियाणा का एक जिला हिसार में हुआ था। उन्हें बचपन से ही पढ़ाई में कोई रूचि नहीं थी अतः बारहवीं कक्षा के बाद ही उन्होंने पढ़ाई से नाता तोड़ व्यवसाय की तरफ अपना झुकाव कर लिया। और हो भी क्यों ना, आखिर व्यवसायी कुल में जो जन्म लिया था।
व्यवसाय…
उन्हें स्वयं के व्यवसाय का ऐसा नशा था कि मात्र १९ वर्ष की आयु में उन्होंने वनस्पति तेल की एक यूनिट लगाई। इसके बाद वे चावल का खरीद बिक्री करने लगे। यह काम चल निकला तो वे कालांतर में अनाज आयत के व्यवसाय में लग गए। वर्ष १९८१ की बात है, उन्हें एक पैकेजिंग एग्जिबिशन के दौरान पैकेजिंग कंपनी बनाने का ख्याल आया। धीरे-धीरे उनका कारोबार रहा। समय के बहाव में वे इतना तेज बहे की, वे अपने जीवन के सबसे सफल कारोबार ब्रॉडकास्टिंग में उतर गए। २ अक्टूबर,१९९२ में उन्होंने जी टीवी के नाम से भारत का पहला प्राइवेट सेटेलाइट चैनल शुरू किया। इसके बाद ज़ी समूह ने एक के बाद एक कई नए चैनेल शुरू किये।
उन्होंने वर्ष १९९५ में ‘सिटीकेबल’ शुरू किया और फिर न्यूज कॉर्प के साथ मिलकर दो नए चैनल, जी न्यूज और ज़ी सिनेमा का शुभारंभ किया। इतना करने के बाद भी वे यहां नहीं रुके वर्ष २००० में उन्होंने ज़ी टीवी केबल के माध्यम से इंटरनेट कनेक्शन देने वाली पहली केबल कंपनी बनाई। ज़ी टीवी वर्ष २००३ में सॅटॅलाइट के माध्यम से ‘डायरेक्ट टू होम’ (DTH) सेवा देने वाली पहली कंपनी बन गयी।
प्रमुख व्यवसाय…
१. जी (टेलीविजन नेटवर्क)
२. डीएनए (एक समाचार पत्र श्रृंखला)
३. वायर एंड वायरलेस लिमिटेड
४. डायरेक्ट-टू-होम (डिश टीवी)
५. Agrani and Procall (उपग्रह संचार)
६. एस्सेल वर्ल्ड एंड वाटर किंगडम (थीम पार्क)
७. प्लेविन (ऑनलाइन गेमिंग)
८. ज़ी लर्न (शिक्षा)
९. एस्सेल प्रोपैक (फ्लेक्सिबल पैकेजिंग)
१०. एस्सेल इन्फ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड (बुनियादी ढांचे के विकास)
११. फन सिनेमाज आदि।
जैसा कि ऊपर श्री प्रकाश हिंदुस्तानी जी ने कहा है, उनके लिए बस यह जानकारी ही काफी है कि आज सुभाष चंद्रा जी देश के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक हैं, लेकिन जिस समाज से उन्हें इतना कुछ मिला है उसके लिए उन्होंने बहुत सारे काम किए हैं। जैसे; वर्ष १९९६ में मल्टीमीडिया शिक्षा (ट्रांसनेशनल अल्टेरनेटे लर्निंग फॉर एमैन्सिपेसन एंड एम्पावरमेंट थ्रू मल्टीमीडिया ) की स्थापना की। इसका उद्देश्य ओपन लर्निंग के माध्यम से अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराना है। वे ग्लोब विपाश्ना फाउंडेशन के प्रेसिडेंट भी हैं। वे भारत में एकल विद्यालय फाउंडेशन के चेयरमैन भी हैं, जो एक धर्मार्थ संस्थान है, ये भारत में एकल विद्यालय का संचालन करता है। जिसका उद्देश्य भारत के ग्रामीण और आदिवासी इलाके से शिक्षा का प्रचार प्रसार करना है। जिसके माध्यम से आज तक लगभग ४०,००० गावों के ११ लाख से भी ज्यादा आदिवासी छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। वे अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन सिविलाइज्ड हारमोनी के संस्थापक चेयरमैन भी हैं।
विवाद…
एस्सेल समूह ने भारत में क्रिकेट प्रतिभा को विकसित करने में मदद करने की इच्छा से बीसीसीआई के समक्ष प्रस्ताव रखा, जिसे बीसीसीआई ने अपनी प्रभुसत्ता को चैलेंज माना और इंकार कर दिया। इसके बाद जी इंटरटेनमेंट ने इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल ) एक निजी क्रिकेट लीग की शुरुआत की। जो भारत में २००७ और २००९ के बीच संचालित हुआ। इसके दो सत्रों में चार अंतरराष्ट्रीय टीमों (वर्ल्ड इलेवन, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश) और नौ घरेलू टीमों ने भाग लिया। मगर बीसीसीआई ने इस लीग में खेलने वाले खिलाड़ियों, कोच और अधिकारियों को अंतराष्ट्रीय स्तर पर खेलने और कार्य करने के लिए आजीवन प्रतिबंध लगा दिया। और इसके समानांतर बीसीसीआई ने आईपीएल लीग की शुरुवात की।