ठाकुर रौशन सिंह

“इस सप्ताह के भीतर ही फाँसी होगी। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपको मोहब्बत का बदला दे। आप मेरे लिये रंज हरगिज न करें। मेरी मौत खुशी का बाइस (कारण) होगी। दुनिया में पैदा होकर मरना जरूर है। दुनिया में बदफैली करके अपने को बदनाम न करे और मरते वक्त ईश्वर की याद रहे;यही दो बातें होनी चाहिये और ईश्वर की कृपा से मेरे साथ ये दोनों बातें हैं। इसलिये मेरी मौत किसी प्रकार अफसोस के लायक नहीं है। दो साल से बाल-बच्चों से अलग रहा हूँ। इस बीच ईश्वर भजन का खूब मौका मिला। इससे मेरा मोह छूट गया और कोई वासना बाकी न रही। मेरा पूरा विश्वास है कि दुनिया की कष्ट भरी यात्रा समाप्त करके मैं अब आराम की जिन्दगी जीने के लिये जा रहा हूँ। हमारे शास्त्रों में लिखा है कि जो आदमी धर्म युद्ध में प्राण देता है उसकी वही गति होती है जो जंगल में रहकर तपस्या करने वाले ऋषि मुनियों की।”

यह एक पत्र है जिसे ठाकुर साहब ने ६ दिसम्बर १९२७ को इलाहाबाद स्थित मलाका (नैनी) जेल की काल-कोठरी से अपने एक मित्र को लिखा था, पत्र के अंत में उन्होंने अपना यह शेर भी लिखा था,

जिन्दगी जिन्दा-दिली को जान ऐ रोशन!
वरना कितने ही यहाँ रोज फना होते हैं।

फाँसी से पहली रात ठाकुर साहब कुछ घण्टे सोये फिर देर रात से ही ईश्वर-भजन करते रहे। प्रात:काल शौचादि से निवृत्त हो यथानियम स्नान ध्यान किया कुछ देर गीता-पाठ में लगायी फिर पहरेदार से कहा-“चलो।” वह हैरत से देखने लगा यह कोई आदमी है या देवता! ठाकुर साहब ने अपनी काल-कोठरी को प्रणाम किया और गीता हाथ में लेकर निर्विकार भाव से फाँसी घर की ओर चल दिये। फाँसी के फन्दे को चूमा फिर जोर से तीन वार वन्दे मातरम् का उद्घोष किया और वेद-मन्त्र – “ओ३म् विश्वानि देव सवितुर दुरितानि परासुव यद भद्रम तन्नासुव” – का जाप करते हुए फन्दे से झूल गये।

मगर अफसोस यह रहा की जिस काकोरी कांड के लिए ९ अगस्त १९२५ को काकोरी स्टेशन के पास जो सरकारी खजाना लूटा गया था उसमें ठाकुर साहब शामिल नहीं थे, यह हकीकत है किन्तु इन्हीं की आयु (३६ वर्ष) के केशव चक्रवर्ती, जरूर शामिल थे जो बंगाल की अनुशीलन समिति के सदस्य थे, फिर भी पकडे बेचारे ठाकुर साहब गये। यहां अंग्रेज सरकार ने उन्हें बमरौली डकैती में शामिल होने की वजह से पकड़ा था जिसमे इनके खिलाफ सारे साक्ष्य भी मिल गये थे अत: पुलिस ने सारी शक्ति ठाकुर साहब को फाँसी की सजा दिलवाने में ही लगा दी और केशव चक्रवर्ती को खो़जने का कोई प्रयास ही नहीं किया। अब देखिए जब तक उन्होने अंग्रेजों के नाक में दम कर रखा था कोई कुछ ना कर सका और….

यह ठाकुर साहब कोई और नहीं राम प्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्र नाथ लाहिडी़, रामदुलारे त्रिवेदी व सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर पर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित बड़ी क्रान्तिकारी पार्टी बनाने वाले अपने माहावीर, स्वतन्त्रता संग्राम के एक क्रान्तिकारी…

श्री ठाकुर रोशन सिंह जी हैं जिनका जन्म २२ जनवरी १८९२ को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर जनपद में फतेहगंज से १० किलोमीटर दूर स्थित गाँव नबादा में हुआ था। उनकी माता जी का नाम कौशल्या देवी एवं पिता जी का ठाकुर जंगी सिंह था। पूरा परिवार आर्य समाज से अनुप्राणित था। ठाकुर साहब पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। असहयोग आन्दोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर और बरेली जिले के ग्रामीण क्षेत्र में उन्होने अद्भुत योगदान दिया था। यही नहीं, बरेली में हुए गोली-काण्ड में एक पुलिस वाले की रायफल छीनकर जबर्दस्त फायरिंग शुरू कर दी थी जिसके कारण हमलावर पुलिस को उल्टे पाँव भागना पडा। मुकदमा चला और ठाकुर रोशन सिंह को सेण्ट्रल जेल बरेली में दो साल वामशक्कत कैद की सजा काटनी पडी थी। कैद से बाहर आने के बाद ही शाहजहाँपुर शहर के आर्य समाज पहुँच कर राम प्रसाद बिस्मिल से गम्भीर मन्त्रणा की जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित कोई बहुत बड़ी क्रान्तिकारी पार्टी बनाने की रणनीति तय हुई। इसी रणनीति के तहत ठाकुर रोशनसिंह को पार्टी में शामिल किया गया था। ठाकुर साहब पक्के निशानेबाज थे, वे उड़ती हुई चिडिया को खेल-खेल में ही मार गिराते थे।

अब अगर हम ठाकुर साहब के किए कार्यो का लेखा जोखा लेकर बैठ जाएँ तों कई पुस्तकें यूं ही लिखी जा सकती हैं, ठाकुर साहब भारत माँ के वीर सपूत थे, अजी हैं और रहेंगे।

हे! वीर तुझे शत शत नमन!
हे! महावीर तेरे जन्मदिवस पर अश्विनी राय ‘अरुण’ तेरा वो शेर तेरे वंदन में दुहराता है,

जिन्दगी जिन्दा-दिली को जान ऐ रोशन!
वरना कितने ही यहाँ रोज फना होते हैं।

धन्यवाद !

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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