TOW
साप्ताहिक प्रतियोगिता : ०३
विषय : ख़ुदगर्ज़
दिनाँक : २२/०१/२०२०

धर्मग्रंथों के कथन मानों
उसके उसूलों को पहचानो
जिन पर चलकर ही तुम
खुदगर्ज़ी से बचोगे ये मानों

मगर खुदगर्ज़ी की भावना
स्वयं में भी एक उसूल है
ऊँचे आदर्शों को ठुकरा कर
लोग उसपर आज चल पड़े हैं

ख़ुदगर्जी जब भी आती है
अपने साथ महत्त्वाकांक्षा,
लालच, सत्ता और गौरव की
लालसा को साथ लाती है

ख़ुदगर्जी जब जब बढ़ने लगी है
गरीबी, नाइंसाफी, बेरोजगारी
महामारी बनकर बढ़ने लगी है
तब तब इंसानियत तड़पने लगी है

जब जब मनुष्य ख़ुदग़र्ज़ बना है
लोभी, अभिमानी, निन्दक, उग्र
नाशुक्र, बेवफ़ा, स्नेह रहित
दग़ाबाज़, ढीठ, घमण्डी बना है

आज लोगों का लालच,
खुदगर्ज़ी और बेईमानी
समस्या बनकर खड़ी है
इंसानियत के आगे अड़ी है

ईश्वर, माँ-बाप को भुलाकर
आराम तलबी बन जाएगा
भक्त का वेश धारण किए
पाप कर्म वो करने लग जाएगा

ख़ुदगर्जी से गर बचना हो
स्वयं को पहले नम्र बनालो
खुदगर्ज़ जमाने से लड़ना हो
तो स्वयं से ही पहले लड़ पड़ो

अनुशासन ही ख़ुदगर्जी से
इंसान को बचाता है
सच्चा प्यार ही उसे
भगवान से मिलाता है

अश्विनी राय ‘अरूण’

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *