महारानी ताराबाई

छत्रपति शिवाजी महाराज के छोटे पुत्र और सम्भाजी महाराज के छोटे भाई राजाराम राजे भोंसले मराठा साम्राज्य के तृतीय छत्रपति थे। बात वर्ष १६८९ की है, जब औरंगजेब द्वारा सम्भाजी की हत्या करवा दिये जाने के बाद मराठा साम्राज्य के तृतीय छत्रपति बने। लेकिन उनका कार्यकाल बेहद छोटा रहा, जिसमें अधिकांश समय वे मुग़लों से युद्ध में उलझे ही रहे। आज हम उन्ही राजाराम महाराज की दूसरी पत्नी और साम्राज्य की संरक्षिका महारानी ताराबाई के जन्मदिवस के शुभअवसर पर गौरवशाली इतिहास को फिर से याद करते हैं…

महारानी ताराबाई का जन्म १४ अप्रैल १६७५ को छत्रपति शिवाजी महाराज के सरसेनापति हंबीरराव मोहिते के यहाँ हुआ था। महारानी ताराबाई का पूरा नाम ताराबाई भोसले था।राजाराम की मृत्यु हो जाने के पश्चात ताराबाई मराठा साम्राज्य कि संरक्षिका बनी और उन्होंने अपने पुत्र शिवाजी द्वितीय को मराठा साम्राज्य का छत्रपति घोषित कर दिया और स्वयं संरक्षिका के रूप में मराठा साम्राज्य को चलाने लगी उस वक्त शिवाजी द्वितीय मात्र ४ वर्ष के थे। १७०० से लेकर १७०७ तक उन्होंने औरंगजेब को बराबर की टक्कर दी और कई सरदारों को एकत्रित करके वापस मराठा साम्राज्य को बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ताराबाई अपने पुत्र को गद्दी पर देखना चाहती थी, परंतु ऐसा हो ना सका औरंगजेब की मृत्यु के बाद बहादुर शाह प्रथम ने छत्रपति शाहुजी को कूटनीति के तहत कैद से आजाद कर दिया और उनकी माँ को कैद में रखा।

छत्रपति शाहुजी मराठा सम्राट और छत्रपति शिवाजी महाराज के पौत्र और सम्भाजी महाराज के बेटे थे। जिस वजह से शाहुजी ने यहां आकर गद्दी के लिए संघर्ष करना शुरु कर दिया, और देखते ही देखते महाराष्ट्र में गृहयुद्ध छिड़ गया। अंततः शाहुजी ने युद्ध में ताराबाई की सेना को पराजित कर उन्हें कोल्हापुर राज्य तक ही सीमित कर दिया और स्वयं को मराठा साम्राज्य का सम्राट नियुक्त कर दिया। शाहुजी के काल में ही मराठा साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। १७४० के दशक में ताराबाई अपनी पोते रामराज को शाहुजी के पास लेकर गई क्योंकि शाहुजी का कोई पुत्र नहीं था। इसीलिए शिवाजी के वंशज होने के नाते रामराज को छत्रपति शाहुजी ने अपना पुत्र घोषित कर दिया। रामराज १७४९ में सतारा की गद्दी पर बैठ गए। उसके सिंहासन पर बैठते ही पेशवा बालाजी बाजीराव को हटाने के लिए ताराबाई ने रामराज से कहा पर रामराज ने मना कर दिया। जिससे ताराबाई ने रामराज को सतारा के किले में ही कैद करवा लिया। जब बालाजी बाजीराव को यह खबर पहुंची तो वे छत्रपति को रिहा करने के लिए सतारा की ओर चल दिए। मई १७५२ को यह खबर लगते ही महारानी ने दाभाडे परिवार को एक साथ लाकर (जो कि पेशवा का पुराना दुश्मन था) १५००० की सेना दामाजी राव गायकवाड के साथ बालाजी बाजीराव के खिलाफ युद्ध करने निकल पड़ी। इस युद्ध में बालाजी बाजीराव ने ताराबाई की सेना को परास्त किया, तत्पश्चात ताराबाई से संधि कर ली। जिसके तहत ताराबाई ने रामराज को अपना पोता ना होना घोषित कर दिया और अब मराठा साम्राज्य की सारी शक्ति पेशवाओं के हाथ में चली गई। १४ जनवरी १७६१ में पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की हार होने के बाद जून १७६१ में बालाजी बाजीराव की मृत्यु हो गई और कमान फिर से अत्यंत वृद्ध ताराबाई के हाँथ में आ गई, मगर दिसंबर १७६१ में ताराबाई का भी निधन हो गया।

महारानी ताराबाई मराठा साम्राज्य की सबसे ताकतवर महिलाओं में से ही नहीं वरन सम्रागी न होते हुए भी सबसे ताकतवर शासको में से थीं। उन्होंने जिस तरह से ७ वर्षों तक औरंगजेब से लड़ाई लड़ी और कभी हार का मुँह नहीं देखा वह उनकी महानता के साथ साथ उनकी दूरदर्शिता को भी दर्शाता है।

 

छत्रपति शाहू (१७०७-१७४९) उर्फ शिवाजी द्वितीय, छत्रपति संभाजी का बेटा

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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