कृषि कानून २०२०

किसानों को लेकर एक बार फिर से राजनीति शुरू हो चुकी है…

इस बार भी राजनीति के पुरोधा दो भागों में बंट चुके हैं। एक कहता है कि ये किसान हैं जो परेशान हैं तो दूसरा कहता है ये प्रायोजित है। लेकिन इतना तो जरूर है कि ये दोनों ही जानते हैं कि किसान परेशान है इसीलिए तो एक खेमा अपनी राजनीति चमकाने के लिए फायदा उठाना चाहता है और दूसरा लगातार इस विषय से बचना चाहता है। इसमें से एक खेमा वर्षों से किसानों को बेच गद्दी पाना चाहता है और दूसरा खेमा गद्दी बचाना। इसमें किसी एक पार्टी अथवा खेमा का नाम नहीं लिया जा सकता। यही भारतीय राजनीति है और यही कारण है आज का स्वैच्छिक ( एक खेमा ) अथवा प्रायोजित ( दूसरा खेमा ) किसान विरोध।

एक खेमा किसानों की हित की बात पर राजनीति करता है गद्दी पाने के लिए दूसरा राजनीति करता है गद्दी बचाने के लिए। यही कारण है किसान आज विरोध कर रहा है अथवा इस विरोध की ओर ताक रहा है, जो स्वैच्छिक है अथवा प्रायोजित। आइए आज हम आपको हर वो बात बताते हैं जो इस आंदोलन से जुड़ी हैं और आप स्वयं इस पर मनन करिएगा की यह कृषि कानून कितना वाजिब है अथवा कितना फरेब। इसके लिए सबसे पहले आपको उन तीन कृषि कानूनों को भी जानना होगा जिसके विरोध में किसान आंदोलनरत हैं…

पहला कृषि कानून…

किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक २०२०: इसका उद्देश्य विभिन्न राज्य विधानसभाओं द्वारा गठित कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा विनियमित मंडियों के बाहर कृषि उपज की बिक्री की अनुमति देना है। सरकार का कहना है कि किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे। निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे।

विरोध का कारण…

लेकिन, सरकार ने इस कानून के जरिये एपीएमसी मंडियों को एक सीमा में बांध दिया है। एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के स्वामित्व वाले अनाज बाजार (मंडियों) को उन बिलों में शामिल नहीं किया गया है। इसके जरिये बड़े कॉर्पोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई है। बिना किसी पंजीकरण और बिना किसी कानून के दायरे में आए हुए वे किसानों की उपज खरीद-बेच सकते हैं।

डर की वजह…

किसानों को यह डर है कि सरकार धीरे-धीरे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म कर सकती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है। लेकिन केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि एमएसपी को खत्म नहीं किया जाएगा।

दूसरा कृषि कानून…

किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक २०२०: इस कानून का उद्देश्य अनुबंध खेती यानी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की इजाजत देना है। किसान की जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति या ठेकेदार किराये पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा।

डर की वजह…

किसान इस कानून का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि फसल की कीमत तय करने व विवाद की स्थिति का बड़ी कंपनियां लाभ उठाने का प्रयास करेंगी और छोटे किसानों के साथ समझौता नहीं करेंगी।

तीसरा कृषि कानून…

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक: यह कानून अनाज, दालों, आलू, प्याज और खाद्य तिलहन जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण को विनियमित करता है। यानी इस तरह के खाद्य पदार्थ आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर करने का प्रावधान है। इसके बाद युद्ध व प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थितियों को छोड़कर भंडारण की कोई सीमा नहीं रह जाएगी।

डर की वजह…

किसानों का कहना है कि यह न सिर्फ उनके लिए बल्कि आम जन के लिए भी खतरनाक है। इसके चलते कृषि उपज जुटाने की कोई सीमा नहीं होगी। उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट होगी और सरकार को पता नहीं चलेगा कि किसके पास कितना स्टॉक है और कहां है?

और अंत में…

अब यह विचार आम जन को लेना है कि क्या यह विरोध वाजिब है या नहीं? लेकिन यहां एक विचारने वाली बात यह है कि किसान का विरोध सरकार और उसके कानून से है तो विरोधी पार्टियां इतनी उत्सुक एवं ब्यग्र क्यूं हैं एवं दूसरी बात सरकार किसानों कि बात मानने अथवा सुनने से इतना क्यूं बच रही है। अगर उसकी मनसा साफ है तो कानून पर गारंटी क्यों नहीं दे रही, जो किसानों का सही मायने में डर है, वो समाप्त हो सके ।

अश्विनी रायhttp://shoot2pen.in
माताजी :- श्रीमती इंदु राय पिताजी :- श्री गिरिजा राय पता :- ग्राम - मांगोडेहरी, डाक- खीरी, जिला - बक्सर (बिहार) पिन - ८०२१२८ शिक्षा :- वाणिज्य स्नातक, एम.ए. संप्रत्ति :- किसान, लेखक पुस्तकें :- १. एकल प्रकाशित पुस्तक... बिहार - एक आईने की नजर से प्रकाशन के इंतजार में... ये उन दिनों की बात है, आर्यन, राम मंदिर, आपातकाल, जीवननामा - 12 खंड, दक्षिण भारत की यात्रा, महाभारत- वैज्ञानिक शोध, आदि। २. प्रकाशित साझा संग्रह... पेनिंग थॉट्स, अंजुली रंग भरी, ब्लौस्सौम ऑफ वर्ड्स, उजेस, हिन्दी साहित्य और राष्ट्रवाद, गंगा गीत माला (भोजपुरी), राम कथा के विविध आयाम, अलविदा कोरोना, एकाक्ष आदि। साथ ही पत्र पत्रिकाओं, ब्लॉग आदि में लिखना। सम्मान/पुरस्कार :- १. सितम्बर, २०१८ में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा विश्व भर के विद्वतजनों के साथ तीन दिनों तक चलने वाले साहित्योत्त्सव में सम्मान। २. २५ नवम्बर २०१८ को The Indian Awaz 100 inspiring authors of India की तरफ से सम्मानित। ३. २६ जनवरी, २०१९ को The Sprit Mania के द्वारा सम्मानित। ४. ०३ फरवरी, २०१९, Literoma Publishing Services की तरफ से हिन्दी के विकास के लिए सम्मानित। ५. १८ फरवरी २०१९, भोजपुरी विकास न्यास द्वारा सम्मानित। ६. ३१ मार्च, २०१९, स्वामी विवेकानन्द एक्सिलेन्सि अवार्ड (खेल एवं युवा मंत्रालय भारत सरकार), कोलकाता। ७. २३ नवंबर, २०१९ को अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग, अयोध्या, उत्तरप्रदेश एवं साहित्य संचय फाउंडेशन, दिल्ली के साझा आयोजन में सम्मानित। ८. The Spirit Mania द्वारा TSM POPULAR AUTHOR AWARD 2K19 के लिए सम्मानित। ९. २२ दिसंबर, २०१९ को बक्सर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, बक्सर द्वारा सम्मानित। १०. अक्टूबर, २०२० में श्री नर्मदा प्रकाशन द्वारा काव्य शिरोमणि सम्मान। आदि। हिन्दी एवं भोजपुरी भाषा के प्रति समर्पित कार्यों के लिए छोटे बड़े विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित। संस्थाओं से जुड़ाव :- १. जिला अर्थ मंत्री, बक्सर हिंदी साहित्य सम्मेलन, बक्सर बिहार। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन, पटना से सम्बद्ध। २. राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सह न्यासी, भोजपुरी विकास न्यास, बक्सर। ३. जिला कमिटी सदस्य, बक्सर। भोजपुरी साहित्य विकास मंच, कलकत्ता। ४. सदस्य, राष्ट्रवादी लेखक संघ ५. जिला महामंत्री, बक्सर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद। ६. सदस्य, राष्ट्रीय संचार माध्यम परिषद। ईमेल :- ashwinirai1980@gmail.com ब्लॉग :- shoot2pen.in

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