FB_IMG_1637073398617

मैंने शादी की कि
सुकून से रह सकूं,
किसी और ने शादी नहीं की
कि सुकून से रह सके।

मेरी सुकून से कटी या नहीं
ये मैं जानता हूं
मगर उसकी सुकून से कटी
ये कौन जानता है।

एक मैं हूं, एक वह है
जो सुकून खोजते हैं
मगर दोनों की ऐसी आदत है कि
सुकून से रह ही नहीं पाते

मैं उसके साथ रहता हूं तो
सुकून खातिर शांति ढूंढता हूं
वह अकेला है तो सुकून खातिर
कोलाहल खोजता है

हम दोनों बेचैन हैं,
रहते हैं एक दीवाल के पार
ढूंढने सुकून को निकलते हैं
घर से बाहर बार बार 

 

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *