November 22, 2024

UBI प्रतियोगिता : ३२
विषय : चलती रहे जिंदगी
दिनाँक : २०/०१/२०२०

ना राहें आसां,
ना हमें मंजिल का पता मालूम
बस मैंने यही जाना है
चलना है, बस चलते जाना है

तुम भी कुछ कदम चलो,
हम भी कुछ कदम चलें,
कदम से कदम मिलाकर
मंजिल पाने को निकल पड़े

बहते चले हम धारों में
क्या रखा है किनारों में
एक दिन ऐसा भी आएगा जब
हम भी घुल जाएंगे बहारों में

गूंजेगी हमारी भी सदा
बनकर संगीत इन फिजाओं में
बनेगी हमारी भी कविता
लोग एक दिन उसे भी गाएंगे

मुड़ने दे अब इन राहों को
यूँ ना देख तू मूड़ मूड़ कर
अब तो बस चलते रहना है
मंजिल के आ जाने तक

अब तो झूम रहा मेरा मन
उसे पाने को मचल रहा मन
सुन तू आज धड़कनों की ज़ुबां,
रहे सदा यही दास्तां चाहे मेरा मन

धूप छांव में पलती रहे ज़िन्दगी
प्यार से झिलमिलाती रहे जिंदगी
ए भाई! ये ज़िन्दगी है ज़िन्दगी
सदा यूँ ही चलती रहे ज़िन्दगी

अश्विनी राय ‘अरूण’

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