भारतीय रेल एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क तथा एकल सरकारी स्वामित्व वाला विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह १६० वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक एवं विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसके वर्तमान में १४ लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं। यह न केवल भारत की मूल संरचनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अपितु बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश की राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदाग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है। मगर अफसोस कोरोना जैसी आपदा ने इसके चक्के को भी रोक दिया है। आज १६ अप्रैल है, जो भारतीय रेल का परिचालन दिवस है। आईए हम रेलवे के इतिहास से आज रूबरू होते हैं…
भारत में रेलवे के विकास की दिशा में सर्वप्रथम प्रयास १८४३ में तत्कालीन अंग्रेज़ गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने निजी कंपनियों के समक्ष रेल प्रणाली के निर्माण का प्रस्ताव रखा। देश में पहली रेलगाड़ी का परिचालन २२ दिसम्बर, १८५१ को किया गया, जिसका प्रयोग रूड़की में निर्माण कार्य के माल की ढुलाई के लिए होता था। ऐतिहासिक दृष्टि से भारत में प्रथम रेलगाड़ी महाराष्ट्र स्थित मुम्बई और ठाणे के बीच २१ मील यानी लगभग ३३.६ किमी लम्बे रेलमार्ग पर आज ही के दिन यानी १६ अप्रैल, १८५३ को चलाई गई थी। इस रेलगाड़ी के लिए तीन लोकोमोटिव इंजन साहिब, सिंध और सुल्तान का प्रयोग किया जाता था।
रेलवे के दस्तावेज के अनुसार १६ अप्रैल, १८५३ को मुम्बई और ठाणे के बीच जब पहली रेल चली, उस दिन सार्वजनिक अवकाश था। पूर्वाह्न से ही लोग बोरीबंदी की ओर बढ़ रहे थे, जहाँ गर्वनर के निजी बैंड से संगीत की मधुर धुन माहौल को खुशनुमा बना रही थी। साढ़े तीन बजे से कुछ पहले ही ४०० विशिष्ट लोग ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे के १४ डिब्बों वाली गाड़ी में चढ़े। चमकदार डिब्बों के आगे एक छोटा फाकलैंड नाम का भाफ इंजन लगा था। करीब साढ़ चार बजे फाकलैंड के चालक ने इंजन चालू किया, फायरमैन उत्साह से कोयला झोंक रहा था। इंजन ने मानो गहरी सांस ली और इसके बाद भाप बाहर निकलने लगा। सीटी बजन लगी और उसके साथ ही गाड़ी आगे बढ़ने को तैयार। उमस भरी गर्मी में उपस्थित लोग आनंद से भर उठे। फिर से एक और सिटी बजी और छुकछुक करती हुए यह पहली रेल आगे बढ़ने लगी। इस ऐतिहासिक पल के कितने लोग गवाह थे, यह तो पता नहीं मगर जब भारत में पहली ट्रेन ने ३४ किलोमीटर का सफर किया, जो मुम्बई से ठाणे तक का रेल के इतिहास का वो रोमांचकारी दिन था।
कारक…
भारत में रेल की शुरुआत की कहानी अमेरिका के कपास की फ़सल की विफलता से जुड़ी हुई है, जहाँ वर्ष १८४६ में कपास की फ़सल को काफ़ी नुकसान पहुंचा था। इसके कारण ब्रिटेन के मैनचेस्टर और ग्लासगो के कपड़ा कारोबारियों को वैकल्पिक स्थान की तलाश करने पर विवश होना पड़ा था। ऐसे में भारत इनके लिए मुफीद स्थान था। अंग्रेज़ों को प्रशासनिक दृष्टि और सेना के परिचालन के लिए भी रेलवे का विकास करना तर्क संगत लग रहा था। ऐसे में १८४३ में लॉर्ड डलहौज़ी ने भारत में रेल चलाने की संभावना तलाश करने का कार्य शुरू किया। डलहौज़ी ने बम्बई, कोलकाता, मद्रास को रेल सम्पर्क से जोड़ने का प्रस्ताव दिया। हालांकि इस पर अमल नहीं हो सका। इस उद्देश्य के लिए साल १८४९ में ग्रेट इंडियन पेंनिनसुलर कंपनी क़ानून पारित हुआ और भारत में रेलवे की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।
रोचक तथ्य…
आज अगर भारतीय रेल की सारी पटरियों को सीधा जोड़ दिया जाए तो उनकी लंबाई पृथ्वी के आकार से भी १.५ गुणा ज़्यादा होगी।
रेलवे के इतिहास में आज तक किसी ट्रेन ड्राइवर ने ऐसे समय में भी ट्रेन को नहीं छोड़ा, जब उन्हें मौत सामने दिखाई दे रही थी।
देश में एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है जो दो राज्यों की सीमा में आता है। इस स्टेशन का नाम है- ‘नवापुर’, जिसका आधा हिस्सा महाराष्ट्र में है और आधा गुजरात में।
देश की सबसे धीमी रफ्तार वाली ट्रेन १० किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है। पहाड़ों से होकर गुजरने वाली यह ट्रेन है, ‘मेट्टुपलायम ओट्टी नीलगीरी पैसेंजर’। इसकी गति इतनी धीमी है कि लोग चलती ट्रेन से आसानी से उतर और चढ़ सकते हैं।
भारत में सबसे बड़े नाम वाला रेलवे स्टेशन वेंकटनरसिम्हाराजुवारिपटा है, जबकि सबसे छोटे नाम वाला रेलवे स्टेशन ईब है, जो उड़ीसा में है।
देश की सबसे लेटलतीफ ट्रेन गोवाहाटी-त्रिवेन्दरम एक्सप्रेस है, जो अमूमन १० से १२ घंटे लेट ही चलती है।
देश की सबसे बड़ी रेल सुरंग जम्मू-कश्मीर के पीर पंजल में है, जिसकी लम्बाई ११.२१५ किमी है।
भारत में सबसे लम्बी यात्रा करने वाली ट्रेन विवेक एक्सप्रैस है, जो आसाम के डिब्रुगढ़ से कन्याकुमारी तक ४२७३ किमी की दूरी तय करती है।
नागपुर और अजनी रेलवे स्टेशन के बीच की दूरी सिर्फ तीन किमी है,जो सबसे कम है।
भारतीय रेल की वेबसाइट पर १२ लाख प्रति मिनट से ज़्यादा हिट होते हैं। इस पर लाखों साइबर हमले भी होते हैं, लेकिन रेलवे की वेबसाइट कभी नहीं रुकती।
भारत में पहली रेल की पटरी दो भारतीयों ने ही बिछवाई थी। इनके नाम थे, जगन्नाथ शंकरसेठ और जमशेदजी जीजीभाई।
ग्रेट इंडियन पेनिन्सुला रेलवेज के डायरेक्टर के तौर पर जगन्नाथ सेठ ने मुम्बई से ठाणे के बीच चली ट्रेन से ४५ मिनट का सफर तय किया था।
करीब ५० वर्ष तक भारतीय रेलवे के डब्बों में शौचालय की व्यवसाय नहीं थी। ओखिल चंद्र सेन नामक एक यात्री ने १९०९ में पैसेंजर ट्रेन से यात्रा के अपने बुरे अनुभव के बारे में साहिबगंज रेल डिविजन के ऑफिस को एक खत लिखकर बताया। इस करारे पत्र के बाद ब्रिटिश हुकूमत को यह ख्याल आया कि डब्बों में शौचालय की बहुत आवश्यकता है। यह पत्र आज भी भारतीय रेलवे के संग्रहालय में मौजूद है।
भारतीय रेलवे ने कम्प्यूटराइज्ड आरक्षण सेवा की शुरूआत नई दिल्ली में १९८६ में की थी।
भारतीय रेल का मैस्कॉट ‘भोलू’ नाम का हाथी है। और यह क्यूट-सा हाथी भारतीय रेल में बतौर गॉर्ड तैनात है।
भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नैटवर्क अमेरिका, चीन और रूस के बाद है।
भारतीय रेल ट्रैक की कुल लंबाई ६५,००० किलोमीटर है। वहीं अगर यार्ड, साइडिंग्स वगैरह सब जोड़ दिए जाएं तो यह लंबाई लगभग १,१५,००० किलोमीटर हो जाती है।
भारतीय रेल दिन भर में जितनी दूरी तय करती हैं, वह पृथ्वी से चन्द्रमा के बीच की दूरी का लगभग साढ़े तीन गुना है।
भारतीय रेलवे में लगभग १६ लाख लोग काम करते हैं। यह दुनिया का ९वां सबसे बड़ा एंप्लॉयर है। यह आंकड़ा कई देशों की आबादी से भी ज़्यादा है।
भारतीय रेल से प्रतिदिन करीब २.५ करोड़ लोग यात्रा करते हैं। यह संख्या ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के लगभग बराबर है।
मेतुपलयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन भारत में चलने वाली सबसे धीमी ट्रेन है। यह लगभग १६ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। कहीं-कहीं पर तो इसकी स्पीड १० किलोमीटर प्रति घंटे तक हो जाती है।
हावड़ा-अमृतसर एक्सप्रेस सबसे ज़्यादा जगहों पर रुकने वाली एक्सप्रेस ट्रेन है। इसके ११५ स्टॉपेज हैं।
नई दिल्ली के मेन स्टेशन के नाम दुनिया के सबसे बड़े रूट रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम का रेकॉर्ड है। यह उपलब्धि ‘गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स’ में भी दर्ज है।
दुनिया का सबसे लंबा प्लैटफॉर्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में है। इसकी कुल लंबाई १३६६.३ मीटर है।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ का चारबाग स्टेशन देश के व्यस्तम स्टेशनों में से एक है। साथ ही यह स्टेशन अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है।
भारतीय रेल पूरी तरह से सरकार के अधीन है, और यह दुनिया की सबसे सस्ती रेल सेवाओं में से एक है। भारत में छोटे-बड़े कुल मिलाकर ७,५०० रेलवे स्टेशन हैं।
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल चिनाब नदी पर बन रहा है। बनने के बाद यह ऊंचाई के मामले में पेरिस के एफिल टावर को भी पीछे छोड़ देगा।
२०१४ में पहली बार भारतीय रेलवे ने एक मोबाइल ऐप्लिकेशन लांच किया, जिसके जरिए ट्रेनों की जानकारी हासिल कर सकते हैं।