हिन्दी अकादमी दिल्ली की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती मैत्रेयी पुष्पा जी का जन्म ३० नवंबर, १९४४ को अलीगढ़ जिले के सिकुरा नामक गांंव में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन की शुरुवाती समय बुंदेलखण्ड में गुजरा। उनकी आरंभिक पढ़ाई झाँँसी जिले के खिल्ली गांव में हुई तथा झांसी के बुंदेलखंड कालेज से उन्होंने हिंदी साहित्य से एमए किया।
कृतियाँ…
(क) उपन्यास :
१. स्मृति दंश
२. बेतवा बहती रही
३. इदन्नमम
४. चाक
५. झूला नट
६. अल्मा कबूतरी
७. कहै ईसुरी फाग
८. चिन्हार
९. गुनाह बेगुनाह
(ख) आत्मकथा :
१. कस्तूरी कुण्डल बसै
२. गुड़िया भीतर गुड़िया
(ग) कहानी संग्रह :
१. चिन्हार
२. ललमनियाँ तथा अन्य कहानियां
३. त्रिया हठ
४. फैसला
५. सिस्टर
६. सेंध
७. अब फूल नहीं खिलते
८. बोझ
९. पगला गई है भागवती
१०. छाँह
११. तुम किसकी हो बिन्नी?
(घ) कविता संग्रह : लकीरें
(ड.) यात्रा संस्मरण : अगनपाखी
(च) लेख संग्रह : खुली खिड़कियां
सम्मान…
१. हिंदी अकादमी द्वारा साहित्य कृति सम्मान
२. कहानी ‘फ़ैसला’ पर कथा पुरस्कार मिला
३. ‘बेतवा बहती रही’ उपन्यास पर उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा प्रेमचंद सम्मान
४. ‘इदन्नमम’ उपन्यास पर शाश्वती संस्था बंगलौर द्वारा नंजनागुडु तिरुमालंबा पुरस्कार
५. म.प्र. साहित्य परिषद द्वारा वीरसिंह देव सम्मान
६. वनमाली सम्मान
विवाद : हंस के एक अंक में प्रसिद्ध साहित्यकार श्री राजेन्द्र यादव ने मैत्रेयी की तुलना मरी हुयी गाय से की, इस पर साहित्य जगत में काफी हलचल हुयी। ऐसा उन्होंने क्यूं कहा इसपर अनेकों जबान अपनी अलग अलग कहानी गढ़ता है। मगर सच्चाई जो भी हो हमें साहित्य की आलोचना नहीं करनी है।
सुंदर