November 21, 2024

अभ्युदय पत्रिका
पिता विशेषांक

कभी पाबंदियों का
फरमान तो कभी
नए नए कानूनों से
भरा संविधान थे पिता

स्कूलों में हमारी गलती की
सजा के हकदार तो कभी
हमारी तरक्की के
पहचान थे पिता

हर दुख में आगे तो कभी
हर खुशी के पीछे थे पिता
हमारे होठों के पीछे छिपे
शब्दों को पहचान
अपनी मजबूरियों को
छुपा ले जाते थे पिता

कभी अभिमान तो कभी
स्वाभिमान है पिता
कभी धरती तो कभी
आसमान है पिता

देख कभी उन्हें
रुक जाती थी हंसी
मगर हंसी के पीछे का
शान है पिता

अकेलेपन का मेला है पिता
सर पर छत बन कर मेरे
दूर तलक फैला है पिता

कभी उनसे बेहद डरते थे
छाया में उनकी हर किसी से
लड़ पड़ते थे

कभी डरावने तो
कभी जिद्दी तो
कभी बेहद गुस्सैल थे पिता

सुरक्षित, शिक्षित, संस्कारी
और स्वाभिमानी बना
आज अपने आप से जूझता
कितना अकेला हो गया है पिता

पिता

विद्या वाचस्पति अश्विनी राय ‘अरुण’
ग्राम : मांगोडेहरी, डाक : खीरी
जिला : बक्सर, बिहार
पिन कोड : ८९२१२८

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