आधुनिक विश्व में कोई कितना पढ़ा लिखा हो सकता है अथवा कोई कितनी पदों पर आसीन हो सकता है ??? जैसे;
(क) पद…
१. डॉक्टर
२. बैरिस्टर
३. भारतीय पुलिस सेवा (IPS)
४. भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)
५. विधायक,
६. सांसद
७. मंत्री
८. कुलपति
(ख) कलाकार…
१. चित्रकार
२. फोटोग्राफर
३. मोटिवेशनल स्पीकर
४. पत्रकार
(ग) विद्वान एवम ज्ञाता…
१. संस्कृत का विद्वान
२. गणित का विद्वान
३. इतिहासकार
४. समाजशास्त्री
५. अर्थशास्त्री
६. साहित्यकार एवं कवि
अब विचार कीजिए, क्या ऐसा संभव है कि कोई एक व्यक्ति स्वयं में ही कोई संस्था हो सकता है, हां यह सच है। किसी समय में भारतवर्ष में ऐसा एक व्यक्ति था, जो मात्र ४९ वर्ष की अल्पायु में एक सड़क दुर्घटना में इस संसार को छोड़कर विदा हो ले चुका है। आप जान लीजिए कि उस व्यक्ति का नाम है श्रीकांत जिचकर है। वह भारत के सर्वाधिक पढ़े-लिखे व्यक्ति थे, जो गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। उन्होंने बीस से भी अधिक डिग्रियां हासिल की थीं।
परिचय…
श्रीकांत जिचकर का जन्म १४ सितंबर, १९५४ को नागपुर में हुआ था। डॉ. श्रीकांत जिचकर कई विषयों में रिसर्च कर चुके थे। वह किसान के साथ ही राजनीति, थिएटर, जर्नलिज्म में भी रिसर्च कर चुके थे। उन्होंने सर्वप्रथम एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की, तत्पश्चात् उन्होंने एमएस की डिग्री लेनी शुरू की, परंतु उसे उन्होंने बीच में ही छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने स्वयं को कानून की पढ़ाई की तरफ मोड़ दिया। डॉक्टर जिचकर ने एलएलबी की पढ़ाई के बाद वो एलएलएम (अंतर्राष्ट्रीय कानून) की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने एमबीए की डिग्री प्राप्त की उसके बाद जर्नलिज्म की भी डिग्री ली।
शिक्षा…
वर्ष १९७३ से वर्ष १९९० के बीच डॉक्टर श्रीकांत ने ४२ विश्वविद्यालयों के एग्जाम दिए, जिनमें से २० में वे पास हुए। जिनमे वे ज्यादातर में वे प्रथम स्थान से पास हुए तथा कितनो में वे गोल्ड मेडल भी प्राप्त किए थे। इस बीच डॉक्टर जिचकर ने आईपीएस का एग्जाम भी पास किया था परंतु जल्द ही उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। फिर उन्होंने आईएएस का एग्जाम भी पास किया। चार माह बाद वहां से भी उन्होंने त्यागपत्र दिया और फिर राजनीति की ओर कदम बढ़ाया।
राजनीति में कदम…
उन्होंने महाराष्ट्र से विधानसभा चुनाव लड़ा और अपनी पहली राजनीतिक जीत दर्ज की। अपने ज्ञान और शिक्षा के बूते श्रीकांत ने राजनीति में मजबूत पकड़ हासिल कर ली। जल्द ही उन्हें ताकतवर मंत्रालय भी मिल गया। उनकी योग्यता का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि उन्हें १४ विभाग सौंप दिए गए थे। वर्ष १९८६ से ९२ तक वो महाराष्ट्र विधान परिषद और १९९२-९८ में राज्यसभा के सांसद रहे। मात्र २५ वर्ष की अल्प आयु में ही MLA बन गए।
डिग्रियां…
डिग्रियों की फेहरिस्त की बात करें तो श्रीकांत जिचकर ने कई विषयों में एम.ए. की थी। उन्होंने पत्रकारिता के साथ एम.बी.ए. और बिजनेस स्टडी में डिप्लोमा भी किया था। इसके उन्होंने डी.लिट्ट और इंटरनेशनल लॉ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था…
(क) मेडिकल : एम.बी.बी.एस. और एम.डी.
(ख) कानून : एल.एल.बी. और एल.एल.एम.
(ग) परास्नातक : लोक प्रशासन, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, संस्कृत, इतिहास, अंग्रेजी साहित्य, दर्शनशास्र, राजनीति शास्त्र, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति और पुरातत्व, मनोविज्ञान, अंतराष्ट्रीय कानून (एल.एल.एम), एम.बी.ए., पत्रकारिता।
(घ) डॉक्टरेट (वाचस्पति) : संस्कृत
निधन…
नागपुर से लगभग ६० किलोमीटर दूर एक सड़क दुर्घटना में २ जून, २००४ को श्रीकांत ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
विशेष…
श्रीकांत ने संस्कृत भाषा के अध्ययन के बाद कहा करते थे “संस्कृत भाषा के अध्ययन के बाद मेरा जीवन ही परिवर्तित हो गया है! मेरी ज्ञान पिपासा अब पूर्ण हुई है।”
उन्होंने पुणे में संदीपनी स्कूल की स्थापना की थी तथा नागपुर में कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना की जिसके वे पहले कुलपति भी बने। उनका पुस्तकालय किसी व्यक्ति का निजी सबसे बड़ा पुस्तकालय था जिसमें ५२,००० के लगभग पुस्तकें थीं। उनका सपना बन था कि भारत के प्रत्येक घर में कम से कम एक संस्कृत भाषा का विद्वान हो तथा कोई भी परिवार मधुमेह जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का शिकार ना हो। आज भी यूट्यूब पर तीन मोटिवेशनल हेल्थ फिटनेस संबंधित वीडियो आज भी उपलब्ध है। संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार व Holistic health को लेकर उनका कार्य अधूरा ही रह गया।