यादों के पिटारे से निकाल कर
एक पोस्टकार्ड भिजवा रहा हूँ,
छोटी सी ही सही मगर
छिपी यादों की बदरी से
कुछ बूंदों की बारिश करा रहा हूं।
जिंदगी एक पल की ही तो मिसाल है।
विचारों की ऊंचाइयों में उड़ा रहा हूँ।
बीते पलों की कुछ मीठी यादों को जो सहेजा है,
अनमोल उपहार स्वरूप उसे पोस्टकार्ड से भिजवा रहा हूँ।
कुछ सपने धूल गए,
कुछ धुलने को हैं।
आने वाले पलों की खुशियों खातिर
उन सपनों को फिर से संवार रहा हूँ,
विचारों की दुनिया से पोस्टकार्ड को चुन,
आज कविता के रंग में इसे ढाल रहा हूँ।
मेरी बातों को अगर समझ सको तो समझो
क्या तुम्हें याद किया है या भुला रहा हूँ।
जीवन के सफर में एक बार फिर कभी मिलेंगे
बस अभी यादों के छांव को तुमसे मिला रहा हूँ।
पोस्टकार्ड तो बस एक बहाना है,
बैरंग बिना पते के इसे तुम तक पठा रहा हूं।