December 26, 2024

लोचन प्रसाद पाण्डेय प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार थे। इन्होंने हिन्दी एवं उड़िया, दोनों ही भाषाओं में काव्य रचनाएँ की हैं। सन १९०५ से ही इनकी कविताएँ ‘सरस्वती’ तथा अन्य मासिक पत्रिकाओं में निकलने लगी थीं। लोचन प्रसाद पाण्डेय की कुछ रचनाएँ कथा प्रबंध के रूप में हैं तथा कुछ फुटकर। ‘भारतेंदु साहित्य समिति’ के भी ये सदस्य थे। मध्य प्रदेश के साहित्यकारों में इनकी विशेष प्रतिष्ठा थी। आज भी इनका नाम बड़े आदर से लिया जाता है।

 

जन्म तथा परिवार…

लोचन प्रसाद पाण्डेय जी का जन्म ४ जनवरी, सन १८८७ ई. में मध्य प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में बालपुर नामक ग्राम में हुआ था। बिलासपुर अब छत्तीसगढ़ राज्य का हिस्सा है। लोचन प्रसाद पाण्डेय के पिता पंडित चिंतामणि पाण्डेय विद्याव्यसनी थे। उन्होंने अपने गाँव में बालकों की शिक्षा के लिए एक पाठशाला खुलवाई थी। लोचन प्रसाद जी अपने पिता के चतुर्थ पुत्र थे। वे आठ भाई थे- पुरुषोत्तम प्रसाद, पदमलोचन, चन्द्रशेखर, लोचन प्रसाद, विद्याधर, वंशीधर, मुरलीधर और मुकुटधर तथा चंदन कुमारी, यज्ञ कुमारी, सूर्य कुमारी और आनंद कुमारी, ये चार बहनें थीं।

 

शिक्षा…

लोचन प्रसाद पाण्डेय की प्रारंभिक शिक्षा बालपुर की निजी पाठशाला में हुई। सन १९०२ में मिडिल स्कूल संबलपुर से पास किया और १९०५ में कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) से इंटर की परीक्षा पास करके बनारस गये, जहाँ अनेक साहित्य मनीषियों से उनका संपर्क हुआ। उन्होंने अपने प्रयत्न से ही उड़िया, बंगला और संस्कृत का भी ज्ञान प्राप्त किया था। लोचन प्रसाद पाण्डेय ने अपने जीवन काल में अनेक जगहों का भ्रमण किया। साहित्यिक गोष्ठियों, सम्मेलनों, कांग्रेस अधिवेशन, इतिहास-पुरातत्व खोजी अभियान में वे सदा तत्पर रहे। उनके खोज के कारण अनेक गढ़, शिलालेख, ताम्रपत्र, गुफ़ा प्रकाश में आ सके। सन १९२३ में उन्होंने ‘छत्तीसगढ़ गौरव प्रचारक मंडली’ की स्थापना की, जो बाद में ‘महाकौशल इतिहास परिषद’ कहलाया। उनका साहित्य, इतिहास और पुरातत्व में समान अधिकार था।

 

स्वभाव…

लोचन प्रसाद पाण्डेय स्वभाव से सरल एवं निश्छल थे। इनका व्यवहार आत्मीयतापूर्ण हुआ करता था। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से पाठकों को चरित्रोत्थान की प्रेरणा दी। उस समय उपदेशक का कार्य भी साहित्य के सहारे करना आज की तरह नहीं था, इसलिए इनकी रचनाओं ने पाठकों के संयम के प्रति रुचि उत्पन्न की। ये ‘भारतेन्दु साहित्य समिति’ के एक सम्मानित सदस्य थे। मध्य प्रदेश में इनके प्रति बड़ा आदर, सम्मान एवं प्रतिष्ठा का भाव है।

 

साहित्यिक कृतित्व…

लोचन प्रसाद पाण्डेय का साहित्यिक-कृतित्व, चरित्रोत्थान, नीति-पोषण, उपदेश-दान, वास्तविक-चित्रण एवं लोककल्याण के लिए ही परिसृष्ट हुआ है। इनके काव्य का वस्तुगत रूपाधार अभिधामूलक, निश्चित एवं असांकेतिक है। ये कथा एवं घटना का आधार लेकर वृत्तात्मक कविताएँ लिखा करते थे। सन १९०५ ई. से ये ‘सरस्वती’ में कविताएँ लिखने लगे थे। भारतेन्दु का जागरण-तृयं बज चुका था। द्विवेदी युग के शक्ति-संचय काल में लोचन प्रसाद पाण्डेय का अभ्यागमन हुआ। इसी समय सहृदय सामयिकता, ओज, संतुलित पद-योजना एवं तत्सम पदावली से पूर्ण इनकी कविता ने सांकेतिकता एवं ध्यन्यात्मकता के अभाव में भी हृदय-सम्पृक्त इतिवृत्त के कारण लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। स्फुट एवं प्रबन्ध, दोनों ही प्रकार की कविताओं द्वारा लोचन प्रसाद जी ने सुधार-भाव को प्रतिष्ठापित किया। ‘मृगी दु:खमोचन’ नामक कविता में वृक्ष-पशु आदि के प्रति भी इनकी सहृदयता सुन्दर रूप में व्यक्त हुई है। ये मध्य प्रदेश के अग्रगण्य साहित्य नेता भी रहे।

 

लोचन प्रसाद पाण्डेय की रचनाएँ…

१. कलिकाल (छत्तीसगढ़ी नाटक, १९०५) 

२. प्रवासी (काव्य संग्रह, १९०६)

३. दो मित्र (उपन्यास, १९०६)

४. बालिका विनोद (१९०९)

५. नीति कविता, १९०९ 

६. हिन्दू विवाह और उसके प्रचलित दूषण, १९०९

७. कविता कुसुममाला, १९०९

८. कविता कुसुम (उड़िया काव्य संग्रह, १९०९)

९. रोगी रोगन (उड़िया काव्य संग्रह, १९०९)

१०. भुतहा मंडल, १९१०

११. महानदी (उड़िया काव्य संग्रह, १९१०)

१२. दिल बहलाने की दवा, १९१०

१३. शोकोच्छवास, १९१०

१४. लेटर्स टू माई ब्रदर्स, १९११

१५. रघुवंश सार (अनुवाद, १९११) 

१६. भक्ति उपहार (उड़िया रचना, १९११)

१७. सम्राट स्वागत, १९११

१८. राधानाथ राय : द नेशनल पोएट ऑफ़ ओरिसा, १९११

१९. द वे टू बी हैप्पी एंड गे, १९१२

२०. भक्ति पुप्पांजलि, १९१२

२१. त्यागवीर भ्राता लक्ष्मण, १९१२

२२. हमारे पूज्यपाद पिता, १९१३

२३. बाल विनोद, १९१३

२४. साहित्य सेवा, १९१४

२५. प्रेम प्रशंसा (नाटक, १९१४)

२६. माधव मंजरी (नाटक, १९१४)

२७. आनंद की टोकरी (नाटक, १९१४) 

२८. मेवाड़गाथा (नाटक, १९१४)

२९. चरित माला (जीवनी, १९१४) 

३०. पद्य पुष्पांजलि, १९१५ 

३१. माहो कीड़ा (कृषि, १९१५)

३२. छात्र दुर्दशा (नाटक, १९१५)

३३. क्षयरोगी सेवा, १९१५ 

३४. उन्नति कहां से होगी (नाटक, १९१५) 

३५. ग्राम्य विवाह विधान (नाटक, १९१५) 

३६. पुष्पांजलि (संस्कृत, १९१५)

३७. भर्तृहरि नीति शतक (पद्यानुवाद, १९१६)

३८. छत्तीसगढ़ भूषण काव्योपाध्याय हीरालाल (जीवनी, १९१७) 

३९. रायबहादुर हीरालाल, १९२०

४०. महाकोशल हिस्टारिकल सोसायटी पेपर्स भाग १ एवं २

४१. जीवन ज्योति, १९२०

४२. महाकोसल प्रशस्ति रत्नमाला, १९५६ 

४३. कौसल कौमुदी, पं. रविशंकर शुक्ल वि.वि., रायपुर से प्रकाशित

४४. समय की शिला पर, गुरू घासीदास वि.वि., बिलासपुर द्वारा प्रकाशित

सम्मान…

लोचन प्रसाद पाण्डेय को ‘काव्य विनोद’ एवं ‘साहित्य-वाचस्पति’ की उपाधियाँ प्राप्त हुई थीं।

निधन…

लोचन प्रसाद पाण्डेय का निधन ८ नवम्बर, सन १९५९ को हुआ।

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