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🌾 ‘उपकार’ (1967) फिल्म समीक्षा: जय जवान, जय किसान

 

‘उपकार’ हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता-निर्देशक मनोज कुमार (जिन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से भी जाना जाता है) की एक मील का पत्थर मानी जाने वाली फिल्म है। यह फिल्म तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के प्रसिद्ध नारे “जय जवान, जय किसान” पर आधारित थी, जिसने बड़े पर्दे पर देशभक्ति और मानवीय मूल्यों को एक नई ऊँचाई दी।

 

📖 कहानी का संक्षिप्त सार

 

फिल्म की कहानी दो सौतेले भाइयों, भारत और पूरन के इर्द-गिर्द घूमती है।

भारत (मनोज कुमार): वह किसान है जो गाँव में रहकर ईमानदारी और कड़ी मेहनत में विश्वास रखता है। वह त्याग और राष्ट्र सेवा का प्रतीक है।

पूरन (प्रेम चोपड़ा): वह लालची और स्वार्थी है। वह शहर जाकर पैसे कमाना चाहता है और अपने भाई की संपत्ति पर बुरी नज़र रखता है।

जब पूरन धोखाधड़ी करके भारत की सारी संपत्ति हड़प लेता है, तो भारत गाँव छोड़कर जवान के रूप में देश की सेवा करने का फैसला करता है।

सेना में रहते हुए, भारत अपनी डॉक्टर प्रेमिका कविता (आशा पारेख) से मिलता है। इस बीच, पूरन अपने लालच के कारण बुरे लोगों की संगत में पड़ जाता है और उसे अंततः जेल जाना पड़ता है।

फिल्म का क्लाइमेक्स भावनात्मक रूप से गहरा है, जहाँ भारत न केवल देश की सेवा करता है, बल्कि अपने कर्तव्य और प्यार के माध्यम से अपने भाई पूरन को भी सही रास्ते पर लाने का ‘उपकार’ करता है।

 

🌟 फिल्म समीक्षा (Review)

 

‘उपकार’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश है। मनोज कुमार ने किसानों के महत्व, सैनिकों के बलिदान और भ्रष्टाचार की बुराइयों को प्रभावी ढंग से दर्शाया है। फिल्म का निर्देशन सीधा और ज़बरदस्त है, जो दर्शकों के दिल को छूता है।

अभिनय: मनोज कुमार का ‘भारत’ का किरदार आइकॉनिक बन गया। प्रेम चोपड़ा ने पहली बार नकारात्मक भूमिका निभाई और अपनी अभिनय क्षमता साबित की।

संगीत: कल्याणजी-आनंदजी का संगीत फिल्म की जान है। गुलशन बावरा द्वारा लिखे गीत आज भी अमर हैं:

“मेरे देश की धरती सोना उगले” (यह गीत देशभक्ति गान बन गया)।

“कस्मे वादे प्यार वफा सब…”

“हर खुशी हो वहाँ…”

 

 

👥 कलाकार और कार्यकारिणी (Cast & Crew)

 

निर्देशक:  मनोज कुमार

निर्माता:  हरिकिशन आर. मिराणी

संगीत निर्देशक: कल्याणजी-आनंदजी

गीतकार:  गुलशन बावरा, इंदीवर

मुख्य कलाकार:  मनोज कुमार, आशा पारेख (कविता), प्रेम चोपड़ा (पूरन), प्राण (मलंग चाचा)

 

उपकार’ ने 1968 के फिल्मफेयर पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म सहित कई बड़े पुरस्कार जीते थे, जो इसकी गुणवत्ता का प्रमाण है।

 

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