काशी में गंगा तट पर अनेक सुंदर घाट बने हैं, ये सभी घाट किसी न किसी पौराणिक या धार्मिक कथा से संबंधित हैं। काशी में लगभग ८४ घाट हैं, जो लगभग ४ मील लम्बे तट पर बने हुए हैं। इन ८४ घाटों में पाँच घाट बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इन्हें सामूहिक रूप से ‘पंचतीर्थ’ कहा जाता है। ये हैं असी घाट, दशाश्वमेध घाट, आदिकेशव घाट, पंचगंगा घाट तथा मणिकर्णिका घाट।
दशाश्वमेध घाट…
काशी के पंचतीर्थ में से एक दशाश्वमेध घाट का अपना अलग ही धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। काशीखंड के अनुसार शिवप्रेषित ब्रह्मा ने काशी में आकर यहीं दस अश्वमेध यज्ञ किए। शिवरहस्य के अनुसार यहाँ पहले रुद्रसरोवर था परंतु गंगागमन के बाद पूर्व गंगापार, दक्षिण दशहरेश्वर, पश्चिम अगस्त्यकुंड और उत्तर सोमनाथ इसकी चौहद्दी बनी। यहाँ प्रयागेश्वर का मंदिर है।
इतिहास…
काशीप्रसाद जायसवाल के अनुसार भारशिवों राजभर ने जिस स्थान पर दस अश्वमेघ किए वह यही भूमि है। वर्ष १९२९ में यहाँ रानी पुटिया के मंदिर के नीचे खोदाई में अनेक यज्ञकुंड निकले थे। त्रितीर्थी में यहाँ स्नान करना अनिवार्य है।
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