भारतीय राष्ट्रीय पंचांग, जो सूर्य आधारित होता है, उसमें सावन पाँचवाँ महीना होता है । नेपाल में प्रयुक्त कैलेंडर के हिसाब से ये साल का चौथा महीना है। बंगाली कैलेंडर में भी यह चौथा महीना है ।
पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए सावन का महीना बहुत ही महत्वपूर्ण है। पूरे क्षेत्र में मानसून का आगमन पूरी तरह से हो जाता है। धान के फसल की खेती के कारण, बरखा का भारतीय जीवन में बहुत महत्व है। आषाढ़ के बाद, सावन बरखा रितु का दूसरा महीना है।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी इस महीने में, कई त्यौहार आते हैं। पूरा सावन मास भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा और आराधना के लिए सर्वोतम माना जाता है । सावन कि सोमारी अर्थात सोमवारी व्रत का विधान शास्त्रों मे बताया गया है। सोमवारी को माता पार्वती कि पूजा और व्रत को “मंगला गौरी ब्रत” कहते हैं।
सावन मास मे पड़ने वाले कुछ मुख्य त्यौहार….
हरियाली तीज, नागपंचिमी, रक्षाबंधन, श्रावणी मेला
#कजरी
सावन के मास मे गाया जाने वाला गीत जो पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध लोकगीत है। यह अर्ध-शास्त्रीय गायन की एक विधा के रूप में भी विकसित हुआ और इसके गायन में बनारस घराने की खास दखल है ।
कइसे खेले जाइबि सावन में कजरिया
बदरिया घेरि आइल ननदी ।।
तू त चललू अकेली, केहू सँगे ना सहेली;
गुंडा घेरि लीहें तोहरी डगरिया ।।
बदरिया घेरि आइल ननदी ।।
केतने जना खइहें गोली, केतने जइहें फँसिया डोरी;
केतने जना पीसिहें जेहल में चकरिया ।।
बदरिया घेरि आइल ननदी ।।
बम भोले …
बम बम भोले…
भोले बाबा पार करेगा….