काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगो में से एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडोर का आज यानी १३ दिसंबर, २०२१ को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लोकार्पण कर जनता को समर्पित कर दिया। आइए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की कुछ खास बातों को जानें। यह तो आप जानते ही हैं कि काशी विश्वनाथ धाम तकरीबन सवा ५ लाख स्कवॉयर फीट में बना हुआ है। अब विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए आने-वाले श्रद्धालुओं को गलियों और तंग संकरे रास्तों से गुजरना नहीं पड़ेगा। कॉरिडोर निर्माण के बाद गंगा घाट से सीधे कॉरिडोर के रास्ते बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए बड़ी आसानी से जाया जा सकता है। जानकारों के अनुसार इसकी कुल लगात ९१९ करोड़ रुपए आई है। यह तो सर्वमान्य है कि काशी दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार, भगवान भोले शंकर स्वयं यहां ब्रह्मांडाधीपति के रूप में निवास करते हैं।
अब आप स्वयं अपनी चक्षु से देख सकते हैं कि तकरीबन सवा पांच लाख स्क्वायर फीट में बना काशी विश्वनाथ धाम अब बनकर पूरी तरह से तैयार है। इस भव्य कॉरिडोर में छोटी-बड़ी २३ इमारतों के साथ २७ प्राचीन मंदिर भी हैं, जो कभी विध्वंश कर दिए गए थे। इस पूरे कॉरिडोर को तकरीबन पचास हजार वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है। इस कॉरिडोर को ३भागों में बांटा गया है, जिसमें ४ बड़े-बड़े गेट और प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के २२ शिलालेख लगाए गए हैं। जिसमें काशी की महिमा का बड़ी खूबसूरती से वर्णन किया गया है। इसके अलावा इस कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, तीन यात्री सुविधा केंद्र, चार शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मल्टीपरपस हॉल, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी जैसी सुख-सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में अगर गोदौलिया वाले गेट से कोई एंट्री करे तो यूटिलिटी भवन, सिक्योरिटी ऑफिस मिलेगा
इसके अलावा यात्री सुविधा केंद्र नंबर १ और २ सरस्वती फाटक की तरफ हैं। इसमें चुनार के गुलाबी पत्थर, मकराना के सफेद मार्बल और वियतनाम के खास पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। २५० साल के बाद मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार हुआ है। इस कॉरिडोर के बनने के बाद श्रद्धालु ५० फीट की सड़क से गंगा किनारे से बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर सकेंगे। इतना ही नहीं काशी विश्वनाथ धाम में महादेव के प्रिय रुद्राक्ष, बेल, पारिजात, वट और अशोक के पौधे लगाए जाएंगे। बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसाद तैयार हो रहा है, जो ८ लाख से ज्यादा परिवारों में वितरित किया जाएगा।
आपकी जानकारी के लिए, यह भी बताते चलें कि इस प्रोजेक्ट का शिलांन्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ८ मार्च, २०१९ को किया था, एक अध्यादेश के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर पर क्षेत्र को विशिष्ट क्षेत्र घोषित किया था। जिसके बाद आसपास के कई भवनों को अधिग्रहित किया गया। काशी विश्वनाथ मंदिर का वर्ष १७८० में महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा जीर्णोद्धार करवाया गया था। इसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने वर्ष १८५३ में मंदिर के शिखर सहित अन्य स्थानों पर सोना लगवाया था।
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