साहित्यिक प्रतियोगिता : १.१२
विषय : परिस्थिति
दिनाँक : १२/११/१९
जीवन के परिवर्तन को
आप अपने अनुभव को
सहारा देने आया हूँ
क्या तुम्हें कुछ समझ आया है?
अथवा जीवन में नुक़सान आया है?
उस दलदल से निकालने आया हूँ।
विचारों के बिगड़ने से
सन्तुलन बिगड़ने वाला है
इसीलिए तुम्हें सम्हालने आया हूँ
प्रकृति के परिवर्तन में
प्राणियों के जीवन से
तुम्हें जोड़ने आया हूँ
परिवर्तन से विलुप्त होने तक
जीवन की मौजूदगी तक
मैं हर्ष फैलाने आया हूँ
ठहर सकती हैं
बहती नदियाँ
उन्हें बहाने आया हूँ
छीण होती हरियाली में
पत्थर के पेड़ उगे हैं
उनमें जीवन भरने आया हूँ
उन्नति की अवनति में
संयम के प्रबंधन से
परिस्थिति बदलने आया हूँ
अश्विनी राय ‘अरूण’