अंतस के आरेख
विषय : मेघ
दिनाँक : २५/११/१९

तपती धरती बिलख रही है
अगन उसकी तो मिटाओ
काले मेघा काले मेघा
पानी तो बरसाओ

नजर उठाए देख रहे हैं
पशु पक्षी और इन्सान
खेत बगिया तरस रहे हैं
तरस रहे सभी किसान

आँखों में सब आस लिए हैं
उनकी पीड़ा तो मिटाओ
काले मेघा काले मेघा
पानी तो बरसाओ

सूखी धरती सुखी नदिया
सूखे सारे ताल तलैया
बाट जोहती रो रही है
नन्हें बच्चों की मईया

दुखहारी बरसी आँखों से
खुशियों की बाढ़ लगाओ
काले मेघा काले मेघा
पानी तो बरसाओ

नहरे सब थम गई तो
पेड़ पौधे निस्तेज हुए हैं
प्राण के लाले पड़ गए
सब मरणासन्न पड़े हुए हैं

बुझ गए घर के जलते चूल्हे
उसमें तुम अगन लगाओ
काले मेघा काले मेघा
पानी तो बरसाओ

अब जो की देरी आने में
यमदूत अब डराने लगेंगे
जीवन रेखा मिटाने को
घर पर काल मंडराने लगेंगे

संसार की अगन बुझाने को
तुम ठण्डी बयार बहाओ
काले मेघा काले मेघा
पानी तो बरसाओ

अश्विनी राय ‘अरूण’

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