April 19, 2025

विषय : जीने की धारणा
दिनाँक : ०२/०१/२०२०

जीवन जीने की कला
स्वयं में महान कर्म है
उसपर उसकी धारणा
यह तो मानुष धर्म है

स्वयं को साधे रहना
अनुशासित कला है
जग के जो हित साधे
इसमें स्वयं का भला है

जहाँ मित्रों का प्यार मिले
ना वहां से पुण्य चाहिए
जहाँ माँ बाप से आशीष मिले
कहां स्वर्ग सिंहासन चाहिए

मैं सदा से अनाड़ी रहा
मुझे अनाड़ी रहने दीजिए
ज्ञान की बातें ना बुझे मन
प्रेम सरिता में बहने दीजिए

मैं भी हूँ एक रमता जोगी .
राम को हृदय में बसना है
‘अश्विनी’ की तो यही धारणा
बस राम राम ही गाना है

अश्विनी राय ‘अरूण’

About Author

Leave a Reply

RocketplayRocketplay casinoCasibom GirişJojobet GirişCasibom Giriş GüncelCasibom Giriş AdresiCandySpinzDafabet AppJeetwinRedbet SverigeViggoslotsCrazyBuzzer casinoCasibomJettbetKmsauto DownloadKmspico ActivatorSweet BonanzaCrazy TimeCrazy Time AppPlinko AppSugar rush