जग क्या है? बस एक आईना, वही दिखाता, जो मन ने ठाना। जैसा...
कविता
मौलिक हिंदी कविताओं का विशाल संग्रह: सामाजिक, आध्यात्मिक और विचारोत्तेजक
“हमारे ‘कविता’ अनुभाग में आपका स्वागत है! यहाँ आपको विद्यावाचस्पति अश्विनी राय अरुण द्वारा रचित सभी मौलिक हिंदी कविताएँ मिलेंगी। इस संग्रह में ‘मोबाइल का नशा’ और ‘मानवता के द्रोही’ जैसी महत्वपूर्ण रचनाएँ शामिल हैं, जो सामाजिक समस्याओं, पर्यावरण संरक्षण और जीवन के आध्यात्मिक पहलुओं पर गहराई से प्रकाश डालती हैं। हिंदी कविता के इस अद्भुत संसार में गोता लगाएँ।”
विद्यावाचस्पति अश्विनी राय अरुण कहते हैं, ‘कुछ ना कहकर सब कुछ कह जाने की कला ही कविता है’
I आम नजर में, दो नहीं, एक ही नाम; शिव ही शंकर, शंकर ही...
गांव से मासूमियत को, नगर से उसके नागरिक तो रास्तों से उसकी मंजिल को...
ए दोस्त! आयेगा एक दिन ऐसा, या आ गया है कहीं चुपके से क्या...
नई आशा जगाकर मन में किसको हो भरमाए तुम? बीते वर्ष कुछ ना कर...
बचपन में गाया करते थे जय कन्हैयालाल की मदन गोपाल की लइकन के हाथी...
जी हां! मैंने देखा, उसे अपनी दूरबीन से मुझे उसमें एक निश्चल और...
डूबने के लिए तुमको बस गहरे पानी की जरूरत होती है डूबने के लिए...
मेरे बच्चे! तुम जब बड़े हो जाना तो सुन लेना अपनो की बात अगर...
वो कौन है? उसके पीछे कौन है? क्या उसने कुछ गलत किया है?...