आओ कुछ बात करें अपने जहान की, हाँथ ही बात करेंगे दबे बेज़ुबान...
कविता
कुछ ना कहकर सब कुछ कह जाने की कला ही कविता है
जिंदगी के टेढ़े-मेढ़े राहों से, एक शाम गुजरती है। उस शाम से सुबहा...
प्रेम आखों कि ईनायत है वो दिल कि बरकत है वो उपजता है...
खिड़की से जब बाहर झांकता हूँ, यादे पास चली आती हैं। कुछ पुराने...
शादी वाली बात है, अजी हमारी शादी वाली बात है। सिमटी हुई सी,...
प्रिय स्वयं को प्रिय के लिए संवारता है उसकी प्रसन्नता खातिर खुद को...
प्रिय स्वयं को प्रिय के लिए संवारता है उसकी प्रसन्नता खातिर खुद को...
अलविदा कह कर क्या चले जाते हैं लोग? मैने तो जाना है की...