कुछ वक्त जिन्दगी के, मैने जिंदगी से चुरा लिए। वक्त को वक्त से जोड़कर...
कविता
कुछ ना कहकर सब कुछ कह जाने की कला ही कविता है
चलिए एक बार फिर से चलते हैं, बचपन के किस्से में। ‘अंधेरा कायम...
ये मिट्टी है, हाँ जी ये मिट्टी है। इसकी खुशबू से खुद को...
भूख तो मौत से भी बड़ी होती है, सुबह मिटाओ, शाम को फिर...
लबों पर हर बार खामोशी झूलती है, लेकिन हर बात कहती हैं तुम्हारी आँखे...
कविता आंतरिक भावनाओं को समझाने का एक तरीका है… विश्व कविता दिवस आज ही...
एक शाम चौराहे पर दीया जल रहा था कभी मद्धम तो कभी भभक रहा...
कितने बोझिल थेवो समय, तुम्हारे इंतजार में।मेरे लिएतुम्हें ढूंढनाबड़ी चुनौती रहा। और जब तक...